नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली के नजफगढ़ स्थित मित्तल स्वीटस पर हुई फायरिंग व उत्तम नगर मुठभेड़ के मामले में गिरफ्तार आरोपी रोहित गहलोत को अदालत द्वारा दोनों मामलों में जमानत दी जा चुकी है। अदालत ने उत्तम नगर मुठभेड़ मामले की जांच बाहरी दिल्ली जिला डीसीपी को सौंपी है। उत्तम नगर मुठभेड़ मामले में आरोपी रोहित गहलोत को जमानत मिलने से पुलिस की मुश्किले बढ़ती नजर आ रही है। पुलिस अदालत के सामने रोहित गहलोत की हिरासत व गिरफ्तारी व मुठभेड़ की बात को स्पष्ट नही कर पाई जिसकारण मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने इस मामले में पुलिस की कार्यवाही पर कई सवाल उठाये हैं। अब आरोपी को दोनो मामलों में जमानत मिलने से उत्तम नगर मुठभेड़ कांड पुलिस के गले की फांस बन गया है।
उत्तम नगर इलाके में एक नवंबर की रात हुई मुठभेड़ को लेकर अदालत लगातार सवाल खड़े कर रही है। इसे संदेहाजनक मानते हुए आरोपी रोहित गहलोत को मुठभेड़ के मामले में अदालत ने जमानत दे दी है। इससे पहले सीएमएम की अदालत ने उसे नजफगढ़ फायरिंग मामले में जमानत दी थी जिसमें पुलिस ने उसे वांछित दिखाया था. लेकिन हिरासत में रखने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई थी।
जानकारी के अनुसार, बीते अक्टूबर माह में नजफगढ़ स्थित मित्तल स्वीट हाउस पर फायरिंग हुई थी। इस मामले में पकड़े गए आरोपियों ने खुलासा किया था कि रोहित गहलोत के इशारे पर उन्होंने गोली चलाई थी। पुलिस का दावा है कि बीते एक नवंबर की रात उत्तम नगर इलाके में उन्होंने मुठभेड़ के बाद रोहित गहलोत को गिरफ्तार किया। वहीं रोहित ने अदालत को बताया कि उसे एक नवंबर की दोपहर घर से यह कहकर पुलिसकर्मी ले गए थे कि उसे डीसीपी ने बुलाया है। उसे दिनभर द्वारका के एक फ्लैट में रखा गया। रात के समय पुलिसकर्मी उसे उत्तम नगर इलाके में ले गए, जहां उसकी आंख पर पट्टी बांधकर उसके पैर में गोली मार दी गई। इस मुठभेड़ की जांच अदालत के आदेश पर बाहरी जिला डीसीपी परविंदर सिंह द्वारा की जा रही है।
उत्तम नगर मुठभेड़ केस मुठभेड़ में घायल हुए रोहित गहलोत को दो मामलों में गिरफ्तार किया गया था। दो नवंबर को उसे मुठभेड़ के मामले में गिरफ्तार किया गया था। वहीं मित्तल स्वीट्स फायरिंग केस में उसे 13 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। इसे लेकर परिजनों ने द्वारका के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद मीणा की अदालत में याचिका दायर की थी। अदालत ने प्रथम दृष्टि में इस मुठभेड़ में कई खामियां पाई और इसकी जांच के आदेश दिए। वहीं सुनवाई के दौरान बीते दिसंबर माह में मित्तल स्वीट्स फायरिंग केस में अदालत ने रोहित गहलोत को जमानत दे दी थी. लेकिन उत्तम नगर मुठभेड़ मामले में वह अभी जेल में ही था।
रोहित गहलोत के परिजनों ने उत्तम नगर मामले को लेकर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अलका सिंह की कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि नजफगढ़ में दर्ज मामले को लेकर किस तरीके से संदेहजनक स्थिति में मुठभेड़ के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। उसे एक नवंबर की दोपहर घर से जिस गाड़ी में ले जाया गया था, वह सिपाही कुलवंत के नाम पर रजिस्टर्ड है। यह केस व मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है। अपनी गलतियों को छुपाने के लिए पुलिस ने उसे इस मामले में फंसाया है। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है और जांच पूरी हो चुकी है. इसलिए उन्होंने जमानत मांगी थी। उधर जांच अधिकारी की तरफ से इस बेल पर आपत्ति जताई गई। यह कहा गया कि उसके खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हैं और वह दोबारा अपराध कर सकता है। उसने पुलिस पर गोली चलाई है. इसलिए उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
इस मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि इस मामले में सिपाही कुलवंत को सूचना मिली थी कि रोहित डीडीए पार्क उत्तम नगर के पास आएगा। यहां पर उसने पुलिस टीम पर गोली चलाई, जो सिपाही कुलवंत की बुलेट प्रूफ जैकेट में लगी। वहीं पुलिस की गोली उसके पैर में लगी। अदालत चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा इस मुठभेड़ पर उठाए गए सवालों को दरकिनार नहीं कर सकती। पुलिस अपनी दलील से अदालत को विश्वास में नही ले सकी जिसके चलते इस मामले में रोहित गहलोत को अदालत ने जमानत दी है। अब सारी कार्यवाही डीसीपी की जांच के बाद ही स्पष्ठ हो पायेगी। वहीं सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि क्या सच में उत्तम नगर मुठभेड़ केस फर्जी है तो फिर इस मामले में असली आरोपी कौन है।
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