नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- आरजेएस पीबीएच के संस्थापक उदय कुमार मन्ना के संयोजन में आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव में जनभागीदारी कार्यक्रम -अमृत काल का सकारात्मक भारत के 182 वें संस्करण के सह-आयोजक अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष शिक्षाविद् डा.वेद प्रकाश टंडन ने लोगों से 17 जनवरी 2024 को स्कूली बच्चों द्वारा प्रस्तुत संपूर्ण रामायण देखने के लिए अयोध्या आने का निमंत्रण दिया। रामजानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस के ’दीपोत्सव 2023 : तमसो मा ज्योतिर्गमय’ वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम की कृपा और आशीर्वाद के साथ सभी के जीवन में प्रकाश और शांति का संचार हो।उन्होंने पांच दिवसीय दीपोत्सव के इस त्योहार के मौसम में सबके आनंद और समृद्धि की कामना की।
आरजेएस पीबीएच राष्ट्रीय संयोजक उदय मन्ना ने कहा कि अमृत काल का सकारात्मक भारत पार्ट 2 में आरजेएस की सभी गतिविधियों का संकलन एक पुस्तक के रूप में अगले साल रिलीज होगी। इसी संदर्भ में दिल्ली के नीला हौज जैवविविधता उद्यान का टीम आरजेएस पीबीएच टीम ने दौरा किया था। उन्होंने कहा कि 14 नवंबर से दिल्ली के प्रगति मैदान में शुरू हो रहे 42 वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला को हर साल की तरह इस साल भी आरजेएस पॉजिटिव मीडिया स्वैच्छिक समर्थन करेगी।
सभी अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन आरजेएस पीबीएच पैनलिस्ट व लाफ्टर एंबेसडर दुर्गादास आजाद ने किया और प्रतिभागियों को हर रविवार सुबह 11 बजे सकारात्मक भारत के वेबिनार में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। पॉजिटिव एंबेसडर सत्येन्द- सुमन त्यागी ने असतो मां सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय मृत्युर्मा अमृतं गमय,श्लोक को जीवन में धारण करने का संदेश दिया। अगले अमृत काल का सकारात्मक भारत 185 वीं कड़ी के सह-आयोजक सुरजीत सिंह दीदेवार ने रविवार 19 नवंबर को मानव व्यवहार से सकारात्मक सकारात्मक समाज निर्माण आधारित वेबिनार में आमंत्रित किया।
मुख्य अतिथि नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. परिचय दास ने संबंधों की मिठास पर जोर दिया। उन्होंने अंधेरे को सकार का प्रतिनायक बताया और कहा कि प्रति व्यक्ति सत्य का रूप अलग-अलग हो सकता है। ज़मीर यानी आत्मा जो कहे वो ही सही है,सत्य है और धारण योग्य है। प्राणियों में संबंधों की मिठास पर जोर देते हुए कहा कि छठ जैसे हमारे महापर्व कमजोरों के प्रति समदृष्टि रखने का प्रतीक हैं, जो बताते हैं कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देना हमारी संस्कृति है।
वेबिनार में मुख्य वक्ता भारत सरकार के पूर्व आईटी ऑफिसर निखिलेश मिश्रा ने कहा कि दीपावली अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने का प्रतीक पर्व है। दीपावली परिवारों और दोस्तों के मिलन और जश्न का एक अवसर है। गिले शिकवे दूर कर नई शुरुआत का समय है और दान दक्षिणा के साथ जरूरतमंदों की मदद का त्यौहार है। उन्होंने कहा कि ज्ञान का सत्य उसकी व्यवहारिक उपयोगिता में है। इसे स्पष्ट करने के लिए उन्होंने भगवद् गीता, दार्शनिक प्लेटो, चाणक्य, शेक्सपियर और बेकन का उदाहरण दिया,कहा -ज्ञान मनुष्य के चरित्र और व्यवहारिक जीवन को उत्कृष्ट बनाता है।
ओपन हाउस इंटरैक्टिव सेशन में भाग लेते हुए वैज्ञानिक प्रो.(डा) पी एल साहू, लाफ्टर किंग प्रमोद अग्रवाल,दूरदर्शन कर्मी इशहाक खान, एडवोकेट डा.मुन्नी कुमारी, सोनू मिश्रा, आकांक्षा, मयंक आदि लोग अलग अलग राज्यों से जुड़कर अपनी बात रखी।
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