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    आरजेएस पीबीएच का “सकारात्मक भारत उदय” आंदोलन: प्रवासी भारतीयों के साथ 2025 की शुरुआत

    नई दिल्ली/- राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) ने 25 दिसंबर को अपने “अमृत काल का सकारात्मक भारत उदय वैश्विक आंदोलन” कार्यक्रम के 301वें एपिसोड के साथ “सुशासन दिवस: संकल्प दिवस” मनाकर 2025 में “सकारात्मक भारत उदय” को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी वैश्विक पहल की नींव रखी। इस आयोजन का उद्देश्य भारत और उसके प्रवासी समुदाय के बीच सकारात्मक संवाद को प्रोत्साहित करना है।

    आरजेएस पीबीएच के ग्रंथ 04 पुस्तक का लोकार्पण और आगामी कार्यक्रम

    15 जनवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आरजेएस पीबीएच का ग्रंथ 04 पुस्तक का लोकार्पण किया जाएगा। इस पुस्तक के माध्यम से आरजेएस का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों को जोड़कर एक सकारात्मक बदलाव का निर्माण करना है। इसके अलावा, प्रवासी भारतीय कार्यक्रम और पब्लिक एड्रेस सिस्टम का भी लांच किया जाएगा, जिससे दुनिया भर में सकारात्मकता का प्रचार किया जा सके।

    कार्यक्रम में ‘सकारात्मकता’ और ‘सुशासन’ के रिश्ते पर चर्चा

    कार्यक्रम के दौरान दीप माथुर, डॉ. हरि सिंह पाल, स्वीटी पॉल, आकांक्षा, राजेंद्र सिंह कुशवाहा, बिंदा मन्ना, ओमप्रकाश, सुदीप साहू, मयंक, और इशहाक खान जैसे कई महत्वपूर्ण वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। वे इस बात पर जोर दे रहे थे कि “सकारात्मकता” और “सुशासन” एक समृद्ध राष्ट्र की आधारशिला हैं। साथ ही, कार्यक्रम में महात्मा गांधी, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती के साथ क्रिसमस की बधाई भी दी गई।

    आरजेएस पीबीएच का उद्देश्य: एक स्वागतयोग्य और समावेशी माहौल बनाना

    आरजेएस पीबीएच के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक, उदय कुमार मन्ना ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य भारतीय प्रवासी भाइयों और बहनों के लिए एक स्वागतयोग्य और समावेशी माहौल बनाना है। वे चाहते हैं कि प्रवासी भारतीयों की कहानियाँ सुनी जाएं और उनकी विचारधारा को समझा जाए, ताकि एक मजबूत और सकारात्मक समाज का निर्माण हो सके।

    सकारात्मकता और अनुशासन की संस्कृति का प्रचार

    कार्यक्रम के दौरान आरजेएस के ऑब्जर्वर दीपचंद माथुर ने संगठन की सच्चाई और सकारात्मकता के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने आरजेएस सदस्यों के लिए 2025 में “संकल्प” की घोषणा की, जिसमें कहा गया, “जो कहेंगे, सच कहेंगे”, “सकारात्मक रहेंगे, सकारात्मक कहेंगे”, और “गली गली, गांव गांव, शहर शहर, जगाएं सकारात्मक की लहर”। इसके अलावा, एनआरआई के सांस्कृतिक योगदान को भी मान्यता दी गई और बताया गया कि वे भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं।

    एनआरआई के अनुभवों से सीखने की आवश्यकता

    आरजेएस पीबीएच इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजिंग कमिटी के वरिष्ठ सदस्य, डॉ. हरि सिंह पाल ने प्रवासी भारतीयों के अनुभवों से सीखने और एक सहायक वातावरण बनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय अपने देश में सफलता पाने के बाद विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और अनुशासन का प्रचार करते हैं। उनके अनुभवों से भारतीय समाज को बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

    सकारात्मक भारत उदय वैश्विक आंदोलन की दिशा

    आरजेएस पीबीएच की इस पहल का उद्देश्य “सकारात्मक भारत उदय वैश्विक आंदोलन” को बढ़ावा देना है, जो भारतीय प्रवासी समुदाय को एकजुट करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करेगा। कार्यक्रम का समापन एक शक्तिशाली गीत के साथ हुआ, जिसमें सभी से सकारात्मक विचार फैलाने, बदलाव की चिंगारी जलाने और “आरजेएस जय हिंद जय भारत” और “आरजेएस वंदे मातरम” जैसे देशभक्ति के नारों के साथ राष्ट्र को जगाने का आग्रह किया गया।

    सकारात्मक भारत उदय आंदोलन का भविष्य

    आरजेएस पीबीएच का कहना है कि यह पहल सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत के लिए एक उज्जवल और सकारात्मक भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 15 जनवरी का समागम भारत और उसके प्रवासी समुदाय के बीच एक नए और सकारात्मक भविष्य की ओर बढ़ने का प्रतीक बनेगा। इस आंदोलन के द्वारा, आरजेएस भारत में सकारात्मक बदलाव के लिए सबसे आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता रखता है।

    आरजेएस पीबीएच का मानना है कि प्रवासी भारतीयों का योगदान इस आंदोलन में अनमोल है, और उनका समर्थन राष्ट्र के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन का नया युग शुरू करेगा।

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