नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- लोकसभा में आज विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो गया है लेकिन कब इस पर बहस होगी इसकी अभी कोई तारीख तय नही हुई है। अगर संख्या बल की बात की जाये तो यह अविश्वास प्रस्ताव विफल होना तय है लेकिन फिर भी विपक्ष इतना बड़ा रिस्क क्यों ले रहा है यह समझने की बात है। इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर मुद्दे पर बोलने के लिए मजबूर करना है। जबकि सरकार मणिपुर को लेकर विस्तृत चर्चा को तैयार है लेकिन विपक्ष सिर्फ प्रधानमंत्री के बयान पर अड़ा है। वहीं प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि इसका कोई मतलब नहीं है।
विपक्ष का आज लोकसभा में अविश्वास मंजूर हो गया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोल चुके हैं कि इसका कोई मतलब नहीं है। पीएम का कॉन्फिडेंस यूं ही नहीं है। विपक्षी दलों का प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव संख्याबल के लिहाज से विफल होना पक्का है। यह और बात है कि उन्हें भरोसा है कि वे अपनी मंशा को पूरी करने में कामयाब होंगे। उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकर को घेरकर अवधारणा बनाने की लड़ाई जीत जाएंगे। उन्होंने कहा है कि यह मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री को संसद में बोलने के लिए विवश करने की स्ट्रैटेजी है। सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब सिर्फ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे।
अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय
इस अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है। कारण है कि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है। विपक्षी समूह के निचले सदन में 150 से कम सदस्य हैं।
सूत्रों के अनुसार, मणिपुर के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संसद के भीतर बयान देने का दबाव बनाने के कई विकल्पों पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा। इसके जरिये सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विवश किया जा सकेगा। विपक्षी दलों ने दलील दी कि यह मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में बोलने के लिए मजबूर कर देने की रणनीति भी है। सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमितशाह ही देंगे।
बुधवार को मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर संसद में जारी गतिरोध के बीच विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जिसको अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया लेकिन अब यह अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वह सदन में नोटिस पर कब चर्चा कराते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि विपक्ष के इस अविश्वास प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है। पहले कार्यकाल में भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था। 2019 में बीजेपी की सीटें 282 से बढ़कर 303 हो गई थीं। पीएम ने भरोसा जताते हुए कहा है कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव लाने दीजिए। इस बार सीटें बढ़कर 350 से ऊपर हो जाएंगी।
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