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    आईएमएफ ने कृषि कानूनों को बताया किसानों के लिए फायदेमंद

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/वाशिंगटन/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन 51वें दिन भी जारी है। आज केंद्र सरकार और किसानों के बीच नौवें दौर की वार्ता होगी। इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि भारत सरकार द्वारा पारित कृषि बिल में कृषि सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता है।
    वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन में आईएमएफ के संचार विभाग के निदेशक गैरी राइस ने कहा कि, जो लोग नई प्रणाली से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकते हैं, उनके लिए सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है। हम मानते हैं कि नए कानून भारत में कृषि सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि, ये उपाय किसानों को विक्रेताओं के साथ सीधे अनुबंध करने में सक्षम करेंगे, साथ ही बिचैलियों की भूमिका को कम करने से, कार्यक्षमता बढ़ाने और ग्रामीण विकास का समर्थन करने से किसानों को अधिशेष की अधिक हिस्सेदारी मिल सकेगी।
    प्रवक्ता ने देश में कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन पर कहा कि, श्हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि सामाजिक सुरक्षा उन लोगों को पर्याप्त रूप से बचा सके जो इस नई प्रणाली में परिवर्तन के दौरान प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं।श् जो लोग नए कानूनों से प्रभावित हुए हैं, उन्हें नौकरी देकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है।

    सुधारों के साथ इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत
    आगे राइस ने कहा कि, निश्चित रूप से, इन सुधारों के विकास लाभ, उनकी प्रभावशीलता और उनके कार्यान्वयन के समय पर निर्भर करेंगे, इसलिए सुधारों के साथ इन मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
    उल्लेखनीय है कि हाल ही में पारित इन तीनों कानूनों के विरोध में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले कई सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त कर देंगे और किसानों को कॉरपोरेट खेती की ओर धकेल देंगे। हालांकि सरकार इन कानूनों को बड़े कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है।
    मालूम हो कि 70 के दशक में एमएसपी और सार्वजनिक संग्रह प्रणाली पीपीएस सबसे अधिक फायदा धान, गेहूं पैदा करने वाले किसानों को मिला। आज के दौर में एमएसपी और पीपीएस का उद्देश्य दोहरा है। पहला फसलों में रोग जलवायु परिवर्तन और सूखे से उपजी परिस्थितियों में खाद्यान्न आत्मनिर्भरता। दूसरा किसानों की एक आय सुनिश्चित करना। दूसरा उद्देश्य पूरा करना इसीलिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि 86 फीसदी किसान परिवार या तो मार्जिनल (एक हेक्टेयर से कम जोत वाले) या छोटी जोत (एक से दो हेक्टेयर जोत वाले) हैं जिनका अपने कृषि उत्पाद तुरंत बेचना मजबूरी होती है।

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