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    अमेठी में प्रियंका गांधी के ताबड़तोड़ प्रचार से रोचक हुआ मुकाबला

    -बड़ी दीदी स्मृति बनाम छोटी दीदी प्रियंका में बदली लड़ाई

    अमेठी/शिव कुमार यादव/- कांग्रेस ने अमेठी में बहुत बड़ा दांव चल दिया है। यदि किशोरी हारे तो कोई हानि नहीं। हारे तो राहुल भी। लेकिन, यदि जीते तो प्यादे से बड़ी दीदी (स्मृति) हारीं तो राहुल के हारने से भी बड़ा इतिहास बन जाएगा। इस तरह की बाते आजकल अमेठी में चर्चा विषय बनी हुई है। हालांकि पिछले चुनाव में राहुल गांधी स्मृति से पराजित हो गए थे। लेकिन इस बार इतने कम समय में छोटी दीदी यानी प्रियंका गांधी ने ताबड़तोड़ प्रचार कर माहौल पूरी तरह से बदल दिया है। किशोरी कमाल भी कर सकते हैं। स्मृति 2014 में हारीं, लेकिन अमेठी नहीं छोड़ा। 2019 में जीतीं तो उन्हें अंदेशा रहा होगा कि अगली बार भी राहुल लड़ सकते हैं।  
             देश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक अमेठी कभी गांधी परिवार का पर्याय थी।   25 साल बाद इस बार गांधी परिवार ने अपने वफादार किशोरी लाल शर्मा को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया है। उनका मुकाबला भाजपा की तेज तर्रार नेता स्मृति जूबिन इरानी से है। प्रियंका गांधी लगातार यहां प्रचार कर रही हैं। आम बातचीत में लोग यही कहते हैं कि चुनाव तो बड़ी दीदी (स्मृति) बनाम छोटी दीदी (प्रियंका) का ही है।
              ऐसे में वह केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद कभी सांसद खेल प्रतियोगिता तो कभी सांसद महिला मैराथन, कभी योजना का रजिस्ट्रेशन, तो कभी राम मंदिर से जुड़े आयोजनों पर अक्षत बंटवाने और प्रसाद वितरित कराने तो कभी दुरदुरिया का पूजा करवाने के बहाने लगातार गांव-गांव संपर्क में रहीं। राहुल वाली टक्कर किशोरी दे पाएंगे, मुश्किल है।
            अमेठी में लोगों का कहना है कि किशोरी को कमजोर नहीं समझना चाहिए। गांधी परिवार उनके साथ है। प्रियंका नामांकन में आईं। सभाएं व रोड शो कर रही हैं। परिवार के काम गिना रही हैं। दादी इंदिरा गांधी व पिता राजीव गांधी की मौत को देश के लिए शहादत बताती हैं तो लोगों में सहानुभूति नजर आती है। ऐसे में किशोरी हारें या जीतें, उसका श्रेय या नुकसान दीदी के ही मत्थे जाएगा। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा प्रत्याशी स्मृति इरानी राहुल के चुनाव न लड़ने को हार का डर कहकर तंज जरूर कसती हैं, लेकिन वह किशोरी को बिल्कुल भी हल्के में नहीं ले रही हैं।

    ऐसे समझिए सीट का समीकरण
    गौरीगंज निवासियों का कहना है कि सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह से भाजपा मदद ले रही है। राकेश से चुनाव हारने वाले भाजपा के चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी भी साथ चल रहे हैं। लेकिन दोनों में तालमेल बिठाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
             कामता प्रसाद गौरीगंज के सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह व गौरीगंज नगर पालिका अध्यक्ष रश्मि सिंह के पति दीपक सिंह के बीच हुई मारपीट की भी याद दिलाते हैं। कहते हैं कि दीदी के साथ तो दोनों दिख रहे हैं, लेकिन इसका फायदा-नुकसान क्या हुआ यह तो चुनाव बाद पता चलेगा।
            अमेठी से पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के परिवार से भाजपा मदद ले रही है। परसावां के रामलौट कहते हैं, अमेठी में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महराजी प्रजापति पर्दे के पीछे और उनका बेटा अनुराग, बहू पूजा व बेटी अंकिता खुलकर भाजपा की मदद कर रही हैं। लेकिन, महराजी के सामने भाजपा से चुनाव लड़कर हारने वाले डॉ. संजय सिंह कहीं दिख नहीं रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि वह नाखुश हैं।
           जामो में भाजपा के पूर्व विधायक जंग बहादुर सिंह स्मृति के साथ में हैं। लेकिन जंग बहादुर के प्रतिद्वंद्वी तथा पूर्व एमएलसी व जामो एस्टेट के अगुवा अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी क्या कर रहे हैं, इस पर सभी की निगाहें हैं। चर्चा है कि पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की अमित शाह से मुलाकात के बाद अक्षय से मदद मिल सकती है।

    सपा के दोनों विधायक भाजपा के साथ
    2022 के विधानसभा चुनाव में लोकसभा क्षेत्र की पांच में से तीन, तिलोई, सलोन व जगदीशपुर भाजपा और गौरीगंज व अमेठी सपा ने जीती थी। सपा के गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह व महराजी प्रजापति पर्दे के पीछे भाजपा की मदद कर रहे हैं। राकेश राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में क्रॉस वोट कर चुके हैं और महराजी प्रजापति मतदान से अलग रह चुकी हैं। इन दोनों ही विधायकों के परिजन खुले तौर पर भाजपा की मदद कर रहे हैं। कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है।

    ये फैक्टर बड़े अहम
    – छुट्टा पशु सबसे बड़ी समस्या हैं। 6000 मिलता है, दस हजार का नुकसान हो जाता है।
    – महंगाई और बेरोजगारी सबसे बड़ी चिंता है। पेपर लीक होने से युवा हताश होते हैं।
    – राम मंदिर भाजपा का सबसे बड़ा काम है और राशन से गरीबों को आराम है।
    – स्मृति को बड़ी-बड़ी फैक्ट्री लगवानी चाहिए और स्थानीय लोगों को नौकरी दिलानी चाहिए। बेरोजगारी बहुत है।

    ये हैं प्रत्याशी
    स्मृति जूबिन इरानी केंद्रीय बाल विकास एवं महिला कल्याण मंत्री हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के राहुल गांधी को हराकर निर्वाचित हुई थीं। इस बार फिर भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
    किशोरीलाल शर्मा गांधी परिवार से करीब 40 साल पुराना नाता है। कांग्रेस ने राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव न लड़ने पर शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। शर्मा पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं।
    नन्हे सिंह चौहान सुल्तानपुर के रहने वाले नन्हे सिंह चौहान को बसपा ने उतारा है। चौहान पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे हैं। वह कारोबारी हैं।

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