
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/यूके/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में सोमवार को भारत को झटका लगा है। यूके की हाईकोर्ट ने मोदी को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की मांग स्वीकार कर ली है। अदालत ने नीरव मोदी को मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दे दी है। नीरव के वकीलों ने अदालत से अनुरोध किया था कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए प्रत्यर्पण करना ठीक नहीं होगा।
न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन ने अपने फैसले में कहा कि नीरव मोदी के वकीलों की ओर से उसके मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की आशंका को लेकर जताई गईं चिंताएं सुनवाई में बहस के योग्य हैं। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में आत्महत्या के प्रयासों को सफलतापूर्वक रोकने की क्षमता का मुद्दा भी बहस के दायरे में आता है। उन्होंने कहा, ’इस स्थिति में, मेरे लिए सवाल बस इतना है कि क्या इन आधारों पर अपीलकर्ता का मामला तार्किक रूप से बहस के योग्य है। मेरे विचार से ऐसा है। मैं आधार तीन और चार पर (नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ) अपील करने की अनुमति दूंगा।’
उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश मार्टिन चैंबरलेन ने अपने इस फैसले में जिन आधार तीन और चार का जिक्र किया, वो मानव अधिकारों के यूरोपीय सम्मेलन (ईसीएचआर) के अनुच्छेद तीन या जीवन, स्वतंत्रता व सुरक्षा का अधिकार, और यूके के आपराधिक न्याय अधिनियम 2003 की धारा 91 से संबंधित हैं, जो अपील के लिए फिटनेस (स्वास्थ्य) से संबंधित है।
नीरव के वकीलों ने विधि विज्ञान मनोचिकित्सक डॉ. एंड्रयू फॉरेस्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया था। फॉरेस्टर ने 27 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल तो नहीं लेकिन नीरव में आगे आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है। वकीलों ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। गृह मंत्री प्रीति पटेल के प्रत्यर्पण आदेश पर वकीलों ने दलील दी थी कि उन्हें भारत सरकार के आश्वासन पर यकीन नहीं करना चाहिए।
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