वर्ल्ड स्टूडेंट यूनियन द्वारा वर्चुअल रैली में यूजीसी के खिलाफ खोला मौर्चा

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December 14, 2024

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वर्ल्ड स्टूडेंट यूनियन द्वारा वर्चुअल रैली में यूजीसी के खिलाफ खोला मौर्चा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/गुरूग्राम/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना महामारी में अंतिम वर्ष परीक्षा को अनिवार्य रूप से कराने के यूजीसी के फैसले के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी क्रम में सोमवार को छात्र संगठन वर्ल्ड स्टूडेंट यूनियन द्वारा वर्चुअल रैली का आयोजन किया गया जिसमे गुरुग्राम से संगठन अध्यक्ष आशीष राजपूत ने रैली में जुड़े हरियाणा के विभिन्न जिलों से सैकड़ों छात्रों को सम्बोधित किया। संगठन के अनुसार हरियाणा के चरखी दादरी, भिवानी, हिसार, फरीदाबाद, यमुनानगर, पानीपत समेत लगभग सभी जिलों के छात्र जुड़े और आगे होने वाले सेशन में भी जुड़ेंगे। वर्ल्ड स्टूडेंट यूनियन की प्रिया ने बताया कि अलग अलग सेशन के जरिये दो से तीन हजार छात्रों को साथ लाने का कार्य किया जा रहा है।
संगठन अध्यक्ष छात्र नेता आशीष राजपूत ने कहा कि महामारी में ऑफलाइन एग्जाम किसी भी प्रकार से मंजूर नही है। परिस्थिति अनुकूल मास प्रमोशन का फैसला ही छात्र हित में है। छात्र इस देश का भविष्य हैं और उनकी जान को खतरे में डालना इस राष्ट्र को बर्बादी की तरफ ले जाना है। संगठन प्रोफेशनल कोर्स के लिए ऑनलाइन एग्जाम जिसमे रिपोर्ट मेकिंग, असाइनमेंट, ओपन बुक के रूप में परीक्षाओं का समर्थन करता आया है लेकिन ऑफलाइन एग्जाम का विरोध है। यूजीसी का गाइडलाइन्स में ‘अनिवार्य’ और ‘ऑफलाइन’ शब्द जोड़ना अन्याय है और इसके खिलाफ सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष जारी है। इसके साथ ही छात्र नेता सचिन कौशिक ने सम्बोधन में बार बार निर्णय बदलने, लगातार बढ़ते कोरोना केस, छात्रों का प्रदर्शन और सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बारे बताया।
इस वर्चुअल मीट में निधीश ने आंदोलन की रुपरेखा व आरती ने संगठन की रुपरेखा सबके समक्ष रखी। इसी के साथ दिनेश, ज्योति, प्रवीण ने अहम भूमिका निभाई।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार द्वारा प्रोमोशन का फैसला करने के बाद यूजीसी ने अनिवार्य परीक्षा का निर्णय लिया है। रोजाना हजारों केस सामने आने के बाबजूद सरकार परीक्षा पर अड़ी है और इसीलिए छात्र भी बातचीत से लेकर वर्चुअल रैली तक, सभी तरीके अपनाकर परीक्षा के विरोध में अड़े हुए हैं।

क्या रद्द होंगी विश्वविद्यालय परीक्षाएं? 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट कर सकता है फैसला


-जजों ने मामले में जल्द से जल्द सुनवाई करने के लिए वकीलों को किया आश्वस्त, कोर्ट ने यूजीसी से बुधवार तक लिखित जवाब दाखिल करने को कहा
देश भर के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षा करवाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विश्विद्यालय अनुदान आयोग (न्ळब्) को जवाब देने के लिए कहा है। शुक्रवार, 31 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी. याचिकाओं में छात्रों के स्वास्थ्य के मद्देनजर परीक्षा आयोजित न करने की दरख्वास्त की गई है।सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी यूजीसी की उस गाइडलाइन को चुनौती दी गई है, जिसमें देश के सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कर लेने के लिए कहा गया है. प्रणीत समेत देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के 31 छात्रों, कानून के छात्र यश दुबे, शिवसेना की युवा इकाई युवा सेना के नेता आदित्य ठाकरे और और छात्र कृष्णा वाघमारे ने याचिकाएं दाखिल की हैं।

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