मजदूर बाप की बेटी बॉक्सरों की खेप कर रही तैयार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
January 16, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

मजदूर बाप की बेटी बॉक्सरों की खेप कर रही तैयार

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/अंबाला/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- शरीर चाहे थक जाये लेकिन अगर इंसान के हौंसले बुलंद है तो मंजिल खुद ब खुद चलकर सामने आ जाती है। ऐसा ही करिश्मा अंबाला के गोवर्धन नगर की रहने वाली मुक्केबाज सोनिया राॅय ने कर दिखाया है। सोनिया की जिंदगी न केवल मुश्किलों भरी रही बल्कि हर कदम पर उसे आर्थिक तंगी से भी दो चार होना पड़ा लेकिन उसने कभी हार नही मानी और एक दिन वह अपने बुलंद हौंसलों के सहारे अपनी मंजिल तक पंहुच ही गई।
सोनिया रॉय का छोटा भाई राहुल 8वीं में पढ़ता था और सोनिया 9वीं में थी। भाई को मुक्केबाजी करते देख सोनिया ने मन ही मन मुक्केबाज बनने की ठान ली। बस इसके बाद सोनिया के पंच कभी नहीं रूके। भाई राहुल स्टेट चैंपियन ही बन सका लेकिन सोनिया की जिद तो पूरे हिंदुस्तान में धाक जमाने की थी और वर्ष 2015-16 में आल इंडिया यूनिवर्सिटी में कांस्य पदक जीतकर यह सपना भी पूरा कर लिया। दो बहनें और एक छोटा भाई, ऊपर से तीनों की पढ़ाई। परिवार का गुजर-बसर बड़ी मुश्किल से चल रहा था। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली सोनिया ने इसके बावजूद हिम्मत नहीं हारी।


अंबाला शहर के राजकीय प्रेम नगर सीसे स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद शहर के राजकीय महिला कॉलेज से 2017 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान खेल के लिए शरीर पर ध्यान रखना सबसे जरूरी था। क्योंकि यदि खाना सही नहीं होगा तो शरीर जवाब दे जाएगा। कोच पूनम की यह बात ध्यान में रखते हुए सोनिया ने पढ़ते-पढ़ते कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब एक दुकान पर की। इसके बाद वहां से नौकरी चली गई तो फोटोस्टेट की दुकान पर मशीन चलाने का काम करने लगीं। इस तरह इससे अपना-गुजर-बसर और पढ़ाई का खर्च निकाला।
सोनिया की जिंदगी में मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही थी। वर्ष 2016 में एक हादसे में टांग का लीगामेंट टूट गया। गरीबी के चलते कई जगह धक्के खाए और अंत में चंडीगढ़ के सेक्टर- 32 स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में इलाज करवाया। एक साल रिकवरी में लगा। बेशक ठीक हो गईं लेकिन 100 प्रतिशत ठीक नहीं हो सकीं। इतने सब के बावजूद सोनिया की उम्मीद जिंदा रही। 2018 में सोनिया को गुरूग्राम की सक्षम संस्था ने बॉक्सिंग कोच के तौर पर मौका दिया। वहां करीब 100 बच्चों को कोचिंग दी। वहां से अब ऊना के हंबोली गांव से एक संस्था ने बतौर कोच सोनिया को रख लिया। अब यहां 60 बच्चों के बैच को सोनिया तैयार कर रही हैं।
उपलब्धियां-
राजकीय महिला कॉलेज में 2013 से 15 तक बेस्ट एथलीट चुनी गईं।
एलपीयू में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में कांस्य पदक  2015-16 जीता।
2014 में 16 हरियाणा में स्वर्ण पदक ।
खेल महाकुंभ में 2018 में भागीदारी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox