सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सुरक्षित नहीं महिलाए, रिपोर्ट से हुआ खुलासा

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

March 2023
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
March 25, 2023

हर ख़बर पर हमारी पकड़

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सुरक्षित नहीं महिलाए, रिपोर्ट से हुआ खुलासा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दुनियाभर में महिला सुरक्षा की बात समय-समय पर होती रहती है। बावजूद इसके महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में दिनों-दिन इजाफा हो रहा है। महिला अपराध, दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले आए दिन देखने को मिल रहे हैं। कुल मिलाकर महिला समुदाय घर, बाहर, पार्क, स्कूल, जिम, बस स्टैंड और ऑफिस कहीं भी महफूज नहीं है। लड़कियों के लिए देर रात घर से बाहर होना उनकी जान के लिए शत-प्रतिशत खतरा मंडराने के बराबर है। अब एक नए वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, दुनियाभर के 22 देशों में लड़कियां और युवा महिलाएं ऑनलाइन उत्पीड़न और अपशब्द की मार झेल रही हैं।
ब्रिटेन स्थित मानवीय संगठन योजना इंटरनेशनल के स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स गर्ल्स रिपोर्ट नामक सर्वेक्षण में 22 देशों की 15 से 24 साल की उम्र के बीच की 14 हजार लड़कियों को शामिल किया गया है। इसमें भारत समेत ब्राजील, नाइजीरिया, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, थाइलैंड और अमेरिका शामिल हैं. आपको बता दें कि 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस है लेकिन इससे पहले लड़कियों पर हुए इस सर्वे में आए चैंकाने वाले आंकड़ों ने वैश्विक तौर पर चिंता बढ़ा दी है।
सर्वे के मुताबिक, 58 फीसदी लड़कियों ने माना कि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप और टिकटॉक पर अपशब्द और उत्पीड़न का शिकार होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप में 63 फीसदी, लैटिन अमेरिका में 60 फीसदी, एशिया-प्रशांत क्षेत्रों में 58 फीसदी, अफ्रीका में 54 फीसदी और उत्तर अमेरिका में 52 फीसदी लड़कियों ने ऑनलाइन उत्पीड़न की बात कही है।
रिपोर्ट के अनुसार, 47 फीसदी लड़कियों को ऑनलाइन उत्पीड़न के साथ-साथ शारीरिक और यौन हिंसा की भी धमकी दी गई है, जबकि 59 फीसदी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपशब्द और अपमानजनक भाषा का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक और एलजीबीटीक्यू समुदायों की महिलाओं ने कहा कि उनकी पहचान की वजह से उन्हें परेशान किया जाता है।
पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक लड़की ने बताया कि लड़कियां और युवा महिलाएं उन्हें उत्पीड़ित करने वालों के बारे में जानती हैं, लेकिन परिचित की तुलना में उन्हें अजनबी लोग ज्यादा परेशान करते हैं जबकि सर्वेक्षण में शामिल 11 फीसदी लड़कियों को अपने मौजूदा और पूर्व पार्टनर द्वारा परेशान किया जाता है। 21 फीसदी लड़कियों ने दोस्तों की ओर इशारा किया और 23 फीसदी ने माना है कि उन्हें उत्पीड़ित करने वाले उन्हें स्कूल और उनके वर्कप्लेस से हैं
सर्वे के मुताबिक, सोशल मीडिया पर 36 फीसदी लड़कियों को अजनबियों द्वारा परेशान किया जाता है। वहीं, 32 फीसदी को फेक आईडी सोशल मीडिया यूजर्स अपशब्द और अश्लील मैसेज भेजते हैं। इसके परिणामस्वरूप ऑनलाइन उत्पीड़न ने 42 फीसदी महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक रूप से तनावग्रस्त कर दिया है। साथ ही उनमें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी पैदा की है. यही कारण है कि 5 में से 1 (19 फीसदी) लड़कियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उचित रूप से दूरी बना ली है और कई लड़कियों ने इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कम कर दिया है. वहीं, 10 में से 1 (12 फीसदी) ने खुद को अभिव्यक्त करने का दूसरा रास्ता चुन लिया है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox