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    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    अधिकारों को लेकर एक बार फिर छिड़ी दिल्ली व केंद्र में जंग, और कम हो गए दिल्ली सरकार के अधिकार

    -मनीष सिसोदिया बोले- चुपके से एलजी की बढ़ाई गई शक्ति, केंद्र सरकार कर रही दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- अधिकारों को लेकर दिल्ली व केद्र के बीच जंग लगातार चलती रही है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार के इस कदम पर विरोध प्रकट करते हुए कहा कि जीएनसीटीडी एक्ट में बदलाव कर केद्र सरकार मुख्यमंत्री व मंत्रियों के अधिकार छीनकर उप-राज्यपाल को देने की साजिश रची गई है। जबकि संविधान में यह साफ लिखा हुआ है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के पास तीन चीज- जमीन, पुलिस, और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर दिल्ली की चुनी हुई सरकार, दिल्ली के विधानसभा सभी मसलों पर फैसले ले पाएगी।
    दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने राष्ट्रीय राजधानी की चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अधिकारों को छीनकर वो शक्ति उप-राज्यपाल को देने का कानून पास किया है। उन्होंने कहा कि जीएनसीटीडी एक्ट में बदलाव कर केन्द्र सरकार अब उप-राज्यपाल को इतनी पावर देने जा रही है, जो केन्द्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं, जिससे वे दिल्ली सरकार के कामों को रोक सके. उन्होंने कहा कि इसके बाद दिल्ली सरकार के पास निर्णय लेने का अधिकार नहीं होंगे बल्कि एलजी के पास होगा। सिसोदिया ने कहा कि यह सब बुधवार को बहुत ही गोपनीय तरीके से हुआ और खुफिया तरीके से इस कानून को कैबिनेट से पास किया गया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के खिलाफ तो है ही, यह संविधान के खिलाफ भी है।
    दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान में यह साफ लिखा हुआ है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार के पास तीन चीज- जमीन, पुलिस, और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर दिल्ली की चुनी हुई सरकार, दिल्ली के विधानसभा सभी मसलों पर फैसले ले पाएगी।
    गौरतलब है कि दिल्ली में अधिकारों को लेकर केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव होते रहे हैं. दोनों के बीच यह मामले सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। ऐसे में जीएनसीटीडी एक्ट बदलाव के केन्द्र के कदम के बाद एक बार फिर से दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच टकराव बढ़ना तय है। यहां पर ध्यान देने वाली बात ये भी है कि केजरीवाल सरकार की तरफ से लगातार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की जाती रही है।

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