प्रवासी मजदूरों की घर वापसी पर सियासत तेज

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July 27, 2024

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प्रवासी मजदूरों की घर वापसी पर सियासत तेज

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पहले प्रवासियों के पलायन पर और अब उनकी घर वापसी को लेकर सियासत काफी तेज हो गई है। जहां विपक्ष गरीब प्रवासी मजदूरों से रेल किराया वसूली पर केंद्र सरकार को घेर रहा है वहीं दूसरी ओर भाजपा भी कांग्रेस पर कांग्रेस शासित प्रदेशों में गरीबों से रेल टिकट का पैसा वसूल करने का आरोप लगा रही है। देश के विभिन्न हिस्सों में लाॅक डाउन के चलते फंसे मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए चली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में किराया वसूलने के मामले में पर कांग्रेस द्वारा लगाये गये आरोपों का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन के किराए पर 85 फीसदी सब्सिडी दे रहा है, शेष 15 फीसदी राशि का भुगतान राज्यों को करना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव अग्रवाल ने कहां की केवल विशेष टीमें ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई है। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि हमने मजदूरों से किराया वसूलने की बात नहीं की है। इस बीच कांग्रेस ने श्रमिकों के रेल किराए का खर्च वहन करने की घोषणा की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि विदेशों से भारतीयों को निशुल्क लाया जा सकता है , रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के अर्पण 151 करोड़ दे सकता है तो गरीब श्रमिकों का खर्च क्यों नहीं उठाया जा सकता। इस पर रेलवे ने स्पष्ट किया कि उसने काउंटर से टिकट नहीं भेजा है जिन राज्यों ने ट्रेन चलाने की मांग की थी उनकी बताई गई संख्या के हिसाब से टिकट दे दिए गए थे।
                                             इस संबंध में राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को कहा कि राजद मजदूरों की तरफ से 50 ट्रेन का किराया वहन करने को तैयार है क्योंकि डबल इंजन सरकार सक्षम नहीं है। सुशील मोदी जी तो हिसाब के जोड़ तोड़ के माहिर तो वो जोड़ लगाकर बता दें टिकट के पैस हम भिजवा देंगे। वैसे भी आपको बही खाता देखने का शौक है। एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि संकट में अगर आप विदेश में फंसे हैं तो सरकार आपको मुफ्त में वापस लाएगी लेकिन अगर किसी दूसरे राज्य में फंसे हैं, प्रवासी मजदूर हैं तो यात्रा का खर्च उठाने के लिए तैयार रहें। उसमें सोशल डिस्टेंसिंग की लागत अलग से जोड़ लें। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि गरीब और बेसहारा मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए रेल किराया वसूलने की खबरें बेहद शर्मनाक है। कोरोना संकट के समय में शोषण करना सूदखोरों की प्रवृत्ति है न कि सरकार की।
वहीं  अखिल भारतीय मजदूर संघ कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि उनके चलते राज्य में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का खर्च केंद्र सरकार को उठाना चाहिए। उसने दावा किया कि कई राज्यों ऐसी खबरें आ रही हैं कि किराए की रकम जुटाने के लिए मजदूरों को उधार लेना पड़ा है। संगठनों ने उस आदेश को वापस लेने की मांग की जिसमें कहा गया कि सरकार सिर्फ उन्हीं लोगों के लौटने का इंतजाम करेगी जो लाॅक डाउन की घोषणा के चलते फंस गए थे।
                                        उधर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दलील दी कि लाॅक डाउन की वजह से रास्तों में फंसे मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रेलवे और राज्यों को उनकी मुफ्त यात्रा का बंदोबस्त करना चाहिए। उनसे कोई किराया वसुला नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह उनकी गलती का नतीजा नहीं और इस महामारी की वजह से देश में लागू लाॅक डाउन के दौरान इन कामगारों को अपने-अपने घर जाने की अनुमति देने के लिए याचिका दायर करने वाले आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रभारी निदेशक जगदीश चैकर और अधिवक्ता गौरव जैन ने अपनी अपील में पूरी कल्पना के साथ यह दलील दी है। इसमें कहा गया कि इन कामगारों से अपने पैतृक गांव जाने के लिए ट्रेन और बसों का किराया नहीं लिया जाना चाहिए। हलफनामे में कहा गया है कि इनको ट्रेन के भाड़े के रूप में 800 रूपयें तक देना पड़ रहा है। जो पूरी तरह से अनुचित है।
                                   भाजपा ने रेल किराए को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तमाम नेताओं के बयानों को दुर्भावना से पीड़ित दुष्प्रचार करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भाजपा इन बयानों की कड़ी निंदा करती है। कांग्रेस दुष्प्रचार करने और समाज में फूट के बीज बोने का काम कर रही है। पार्टी से देश को कभी भी सच सेवा और सहयोग की आशा नहीं थी। लेकिन देश को कांग्रेस से यह अपेक्षा जरूर थी कि कोरोना संकट के दौरान वह दूसरा कुछ राजनीति नहीं करेगी। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस लोगों को भड़काने में जुटी भारत की लड़ाई को कमजोर करने और जनता में विद्वेष पैदा करने का प्रयास कर रही है कांग्रेस की गंदी राजनीति है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्विटर पर लिखा कि एक तरफ रेलवे दूसरे राज्य में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल कर रही है, वहीं दूसरी ओर रेल मंत्रालय पीएम के फंड में 151 करोड़ का चंदा दे रहा है। जरा यह गुत्थी सुलझाएं। उन्होंने रेलवे के 151 करोड़ देने की खबर भी ट्वीट किया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया हम विदेश में फंसे भारतीयों को निशुल्क ला सकते हैं। नमस्ते ट्रंपर सरकारी खजाने से 100 करोड़ खर्च कर सकते हैं। तो इस संकट में मजदूरों को निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकती।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विटर पर लिखा, राहुल गांधी जी मैंने गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश पढ़े है जिनमें साफ-साफ लिखा है कि किसी भी स्टेशन पर कोई भी टिकट नहीं बेचा जाएगा। रेलवे ने किराए में 85 फीसदी की सब्सिडी दी है, शेष 15 प्रतिशत राशि का भुगतान राज्य सरकारें वहन करेगी। मध्य प्रदेश सरकार ऐसा कर रही है और कई अन्य राज्य भी अब इस और बढ़ रहें है। लेकिन आप कांग्रेस शासित राज्यों से भी ऐसा ही करने के संकेत के लिए कहिए। राजनीतिक सियासत के गर्माने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि विशेष ट्रेन से दूसरे राज्य से लौट रहे छात्रों से कोई किराया नहीं लिया जाएगा। वहीं प्रवासी मजदूरों को 21 दिन की अनिवार्य पृथक अवधि खत्म होने के बाद टिकट की पूरी रकम लौटाने के साथ ही 500 रूपये अतिरिक्त दिए जाएंगे सारे नियम पहले से स्पष्ट है। मजदूरों के रेल टिकट पर सियासत गरमाने के बाद कुछ राज्यों में इस मामले में सुधार होने लगा है।कुछ राज्यों ने जहां राहत की घोषणा की है तो वहीं केंद्र सरकार ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। इस मामले में अब हाई कोर्ट ने भी रेलवे और राज्यों को मुफ्त यात्रा का बंदोबस्त करने की हिदायत दी है जिसका पूरे देश में सकारात्मक असर देखा जा रहा है। अब लगने लगा है कि देश वास्तव में सुधार की तरफ बढ़ रहा है। और अगर विपक्ष मजबूत है तो सभी काम जनभलाई के लिए किये या करवाये जा सकते है।

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