नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश अपराधियों को संसद तक जााने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों में आरोप लगाए गए हैं। इस याचिका में केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाएं।
याचिका में दावा किया गया है कि कानून आयोग की सिफारिशों और अदालत की ओर से दिए गए पूर्व के निर्देशों के बावजूद केंद्र और चुनाव आयोग ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। याचिका के अनुसार बीते समय में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों की संख्या और उनके जीतने का प्रतिशत बढ़ा है। यह जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि मैं यह याचिका यह देखते हुए दायर कर रहा हूं कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में 539 विजेताओं में करीब 233 ने अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमे होना घोषित किया था। यह कुल विजेताओं का करीब 43 फीसदी है। याचिका में आगे कहा गया है कि साल 2009 से ऐसे सांसदों की संख्या में 109 फीसदी का इजाफा हुआ है जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। याचिका के अनुसार एक सांसद ने तो अपने खिलाफ 204 आपराधिक मुकदमे होने की घोषणा की थी, जिनमें हत्या, डकैती, धमकी आदि मामले शामिल हैं। इसके अनुसार पहले के समय में अपराधी अपने फायदे के लिए नेताओं को चुनाव जीतने में मदद करते थे। अब उन्होंने खुद चुनाव लड़ना शुरू कर दिया है। पार्टियां भी ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दे रही हैं क्योंकि ये आर्थिक रूप से सक्षम हैं और आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रत्याशियों की जीतने की संभावना भी अधिक होती है।
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