
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- संसद की एक समिति ने बीते बुधवार को वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को कोविड-19 की सस्ती और देश में निर्मित आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने को कहा है। साथ ही गृह मामलों की स्थायी समिति के सदस्यों ने दवाइयों की कालाबाजारी पर चिंता प्रकट की है और कहा कि कोविड-19 के इलाज के लिए सस्ती दवाओं का प्रचार किया जाए। समिति ने औषधि कंपनियों द्वारा पेश की जा रही महंगी दवाइयों का उपयोग करने की सलाह को रोकने और उनकी कीमतों को भी नियंत्रित करने को कहा है।
सूत्रों ने बताया कि गृह मामलों की स्थायी समिति की एक बैठक में समिति के सदस्यों ने कोविड-19 की दवाइयों की अधिकतम कीम सीमा भी तय किए जाने की मांग की है। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारी उपस्थिति थे। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारियों ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर तथा चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाए जाने एवं आर्थिक गतिविधियों को बहाल किए जाने पर जानकारी दी। समिति के सूत्रों ने बताया कि दलीय भावना से ऊपर उठते हुए समिति के सदस्यों ने सवाल किया कि कोविड-19 के उपचार के लिए अक्सर महंगी दवाइयों की सलाह क्यों दी जा रही है? सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने रेमेडेसिवीर और टोसीलीजुमैब जैसी दवाइयों की कालाबाजारी पर चिंता प्रकट की. उन्होंने इन दवाइयों की कीमतों की अधिकतम सीमा भी निर्धारित करने का सुझाव दिया। समिति के सदस्यों ने तीन सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवाइयों का नाम लेते हुए सवाल किया कि इन दवाइयों के समान रूप से कारगर होने के बावजूद भी इन्हें बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा है? उन्होंने बताया कि सांसदों ने स्थानीय स्तर पर निर्मित और आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने का समर्थन करते हुए कहा कि फार्मास्यूटिकल लॉबी महंगे विकल्पों पर जोर देकर सस्ती दवाइयों को समाप्त करना चाहती हैं। समिति के सदस्यों को अधिकारियों द्वारा लॉकडाउन और देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए इसके प्रभावी होने के बारे में भी जानकारी दी गई।
इसके अलावा सांसदों ने सुझाव दिया कि प्रवासी श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाए क्योंकि यह उनकी सामाजिक सुरक्षा बेहतर करने में मदद करेगा और उन्हें सीधे बैंक खाते में पैसे एवं राशन दिया जाना चाहिए। स्कूलों के लिए भी ये सुझाव दिए गए कि वे ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक समय निर्धारित करें और इस मुश्किल घड़ी में छात्रों को ऑनलाइन परामर्श उपलब्ध कराएं और ऐसे संकट के समय में उनकी काउंसलिंग भी की जाए।
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