नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर स्थित महबूबा मुफ्ती के आवास पर शनिवार को एक बार फिर पीपुल्स एलायंस के सदस्यों ने मिलकर गुपकार समझौते पर बैठक की। इस बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे। पिपुल्स एलायंस गुपकार समझौते की बैठक के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम भाजपा के विरोध में हैं, देश के नहीं।
फारूक अब्दुल्ला ने इस दौरान कहा कि यह कोई देश विरोधी जमात नहीं है। हमारा उद्देश्य बस यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के अधिकारों को फिर से बहाल किया जाए। धर्म के नाम पर हमें विभाजित करने के प्रयास विफल होंगे। यह कोई धार्मिक लड़ाई नहीं है।
पिपुल्स एलायंस गुपकार समझौते की बैठक के बाद सज्जाद लोन ने बताया कि फारूक अब्दुल्ला इस समिति के अध्यक्ष होंगे और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती उपाध्यक्ष होंगी। इस संबंध में अगले एक महीने के अंदर दस्तावेज भी तैयार कर लिए जाएंगे। इनके माध्यम से हम उन तथ्यों को सामने लाएंगे जिनका झूठा प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इससे पहले 15 अक्तूबर को भी नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूख अब्दुल्ला के घर पर प्रदेश के कई दलों के नेताओं ने बैठक की थी। इसमें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस एवं अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई राजनीतिक दलों के नेता मौजूद थे।
करीब दो घंटे तक चली उस बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि सभी पार्टियों ने इस समझौते का नाम गुपकार से बदलकर श्पीपुल एलायंस गुपकार समझौताश् करने पर आम सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान राजनीतिक है। आगे की रणनीति के लिए हम फिर बैठक करेंगे।
क्या है गुपकार समझौता? चार अगस्त 2019 को फारूक अब्दुल्ला के गुपकार स्थित आवास पर एक सर्वदलीय बैठक हुई थी। यहां एक प्रस्ताव जारी किया गया था, जिसे गुपकार समझौता कहा गया। इसके अनुसार पार्टियों ने निर्णय किया कि वे जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और उसके विशेष दर्जे को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करेंगे।
गुपकार समझौते के तहत कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष दर्जे की रक्षा और बचाव के लिए हम सभी नेता प्रतिबद्ध हैं। नेताओं ने यह भी कहा था कि राज्य का बंटवारा कश्मीर और लद्दाख के लोगों के खिलाफ जुल्म है। 370 समाप्त करने के फैसले को इन नेताओं ने असंवैधानिक करार दिया था। इस समझौते में जम्मू-कश्मीर के छह बड़े राजनीतिक दल शामिल हैं। इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस समेत तीन और दल हैं। बता दें कि गुपकार समझौते के अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था।
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