माता, पिता, गुरु ही सच्चे पथप्रदर्शक -डॉ रमा शर्मा (प्रधानाचार्या, हंसराज कॉलेज, दिल्ली)

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
January 14, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

माता, पिता, गुरु ही सच्चे पथप्रदर्शक -डॉ रमा शर्मा (प्रधानाचार्या, हंसराज कॉलेज, दिल्ली)

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में शिक्षक दिवस व डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 132वे जयंती पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल मे परिषद का 84वा वेबिनार था।
मुख्य अतिथि डॉ रमा शर्मा (प्रधानाचार्या, हंसराज कॉलेज, दिल्ली) ने कहा कि माता पिता गुरु हीं सच्चे पथप्रदर्शक हैं सचमुच यदि ये कहा जाए कि माता पिता ईश्वर के समतुल्य है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। माता पिता व गुरु ही जीवन जीने की कला का सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। गुरु ज्ञान के दीपक की बाती होता है जो खुद जलकर संसार को ज्ञान से आलोकित करता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर हम सभी को संकल्प लेना होगा कि शिक्षकों को पूरा सम्मान प्रदान करे तभी शिक्षक दिवस मनाना सार्थक सिद्ध होगा ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि शिक्षक समाज की भावी संरचना की नींव रखते हैं।शिक्षक के माध्यम से ही शिक्षित व संस्कारी विद्यार्थी परिवार, समाज और देश के लिए कार्य करना सीखता है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती सच्चे शिक्षक व पथप्रदर्शक थे, उनके द्वारा प्रशस्त मार्ग से आज भी लोग पाखंड व अंधविश्वास से दूर रहते है और समाज की कुरीतियों से लोहा लेने का बल रखते हैं।आज भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की 132वीं जयंती है। उन्हे बचपन से ही किताबों से बहुत लगाव था।डॉ॰ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाज सेवी शिक्षाविद महेन्द्र मनचंदा ने सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि गुरु के बिना ज्ञान सम्भव नहीं इसलिए गुरुओं का सम्मान करने का संकल्प लें। फरीदाबाद के न्यू जॉन. एफ. केनेडी स्कूल के निदेशक विद्या भूषण आर्य ने कहा कि शिक्षक समाज को एक नयी दिशा देता है।वह चाहे तो समाज में फैली कुरीतियों, बुराइयों को मिटा कर संस्कार वान पीढ़ी का निर्माण कर सकता है। फरीदाबाद के ए.डी.सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य सुभाष श्योराण ने कहा कि शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है।भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है, लेकिन जीवन जीने का तरीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि शिक्षक केवल वही नहीं होता है जो हमे सिर्फ स्कूल, कॉलेजों में पढ़ाये, शिक्षक वो भी है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है। गायिका विमला आहूजा, संगीता आर्या, चिंकी झा, दीप्ति सपरा, ईश्वर आर्या(अलवर), चंद्रकांता आर्या(बंगलोर), नरेश खन्ना, विचित्रा वीर, वीना वोहरा(गाजियाबाद), डॉ मधु खेड़ा, उषा मलिक, किरण सहगल, राजश्री यादव, पुष्पा चुघ आदि ने ओजस्वी गीतों से समा बांध दिया। मुख्य रूप से यशोवीर आर्य, प्रमोद शास्त्री ,अभिमन्यु चावला, के एल राणा, नरेश प्रसाद, यज्ञवीर चौहान, देवेन्द्र गुप्ता, देवेन्द्र भगत, राजेश मेहंदीरत्ता आदि उपस्थित थे।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox