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नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- विश्व को कोरोना वायरस से बचाने के लिए दुनिया भर की तमाम बड़ी फार्मा कंपनियां कोरोना महामारी का इलाज ढूंढने की कोशिश में लगी हुई हैं। इसके लिए बड़े-बड़े वैज्ञानिक लैबोरेट्री के अंदर दिन-रात वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। आज दुनिया के आगे जो महासंकट खड़ा हुआ है वह सिर्फ वैक्सीन के एक सफल प्रयोग के बाद खत्म हो सकता है। लेकिन इसके लिए अभी तक सिर्फ प्रयास ही किए जा रहे हैं, पूर्ण रूप से किसी वैक्सीन के सफल होने की अब तक खबर नहीं है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट के बाद अब हेस्टर बायोसाइंसेज ने भी कोरोना का टीका बनाने का ऐलान किया है।
अहमदाबाद की दवा कंपनी हेस्टर बायोसाइंसेज ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (आईआईटीजी) के साथ मिलकर कोविड-19 का टीका विकसित करेगी। गौरतलब है कि इसके पहले पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने दावा किया था कि वह सितंबर-अक्टूबर तक कोरोना का टीका लेकर आएगी जिसकी कीमत करीब 1000 रुपये होगी। हेस्टर ने ऐलान किया कि उसने आईआईटी के साथ 15 अप्रैल 2020 को ही एक समझौता किया है। कंपनी ने कहा है कि यह टीका पुनः संयोजक एवियन पैरामाइक्सोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित होगा।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हेस्टर बायोसाइंसेस के सीईओ और एमडी आर गांधी ने कहा, “आईआईटी गुवाहाटी और हेस्टर दोनों मिलकर कोविड-19 को खत्म करने के लिए एक वैक्सीन को विकसित करने और इसे बनाने में एक दूसरे को सहयोग करेंगे। हेस्टर की भागीदारी मास्टर सीड के विकास से लेकर कॉमर्शियल रूप में वैक्सीन जारी करने तक होगी। बयान के मुताबिक रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस-1 का उपयोग ‘सार्स-कोव-2 के एक इम्यूनॉजिक (शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जगाने वाले) प्रोटीन के तौर पर किया जाएगा। बाद में इसका उपयोग आगे के अध्ययन के लिए किया जा सकता है। इस टीके की क्षमता के बारे में आईआईटी गुवाहाटी के जैवशास्त्र और जैवप्रौद्योगिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर व रिसर्च टीम के प्रमुख सचिन कुमार ने कहा कि इस पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
यहां बता दें कि इसके पहले भारत में कोरोना का टीका तैयार करने में लगे पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अडर पूनावाला ने कहा था कि यदि ट्रायल सफल रहा तो यह टीका इसी साल सितंबर या अक्टूबर तक आ सकता है और 1000 रुपये में मिल सकता है। पूनावाला ने कहा कि वह जोखिम लेते हुए कोरोना के टीके के एडवांस परीक्षण से पहले ही इसके उत्पादन की कोशिश करेंगे और यह तैयार हो गया तो इसकी कीमत प्रति टीका 1,000 रुपये की होगी। गौरतलब है कि अमेरिका जैसे तमाम बड़े देश जहां पर टेक्निकल एडवांसमेंट सबसे अधिक है वह भी आज भारत के भरोसे हैं, क्योंकि भारत की फार्मासिटिकल कंपनियां लगातार वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रही है। और इस बात को ॅभ्व् भी कह चुका है कि भारत की कंपनियों के पास वह एक्सपर्टीज हैं, जो कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में मदद कर सकती हैं।
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