
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पीएलए भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए लगातार सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है और हर दिन कोई न कोई हरकत कर रहा है लेकिन भारतीय सेना ने अब हर उकसावे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए चीन से लगती सीमा पर विशेष सेना की तैनाती की है। ताकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की गतिविधियांे पर नजर रखी जा सके। सेना का दावा है कि चीन के पास भारत की इस सेना का कोई तोड़ नही है। गौरतलब है कि भारत की चीन से 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा लगती है जिसपर इन दिनो काफी हलचल देखी जा रही है। जिसे देखते हुए भारत ने विशेष सेना की तैनाती की है।
इस संबंध में एक पूर्व भारतीय सेनाध्यक्ष ने कहा, ‘पहाड़ पर लड़ने की कला सबसे कठिन है क्योंकि यहां हताहत होने की संख्या ज्यादा रहती है। उत्तराखंड, लद्दाख, गोरखा, अरुणाचल और सिक्किम के सैनिकों ने दुर्लभ चट्टानों में लड़ाई के कौशल को अपना लिया है और इसलिए उनकी लड़ने की क्षमता की कोई तुलना नहीं है। तोपखाने और मिसाइलों की पिन पॉइंट सटीकता होती है वरना वे मीलों तक पहाड़ पर निशाने से चूक जाएंगे।’ पीएलए के जवान जहां इंफेन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल और सड़कों के जरिए चलते हैं, वहीं भारतीय पर्वतीय सेना को गुरिल्ला युद्ध और उच्च ऊंचाई वाले स्थानों पर लड़ने का प्रशिक्षण दिया जाता है। वे कारगिल युद्ध में अपना सामर्थ्य दिखा चुके हैं।
हालांकि साउथ ब्लॉक के एक विशेषज्ञ कहना है कि, ‘दूसरी चीज जो सेना के लिए काम करेगी वह यह है कि तिब्बती पठार चीन की तरफ समतल है जबकि भारत में यह काराकोरम में के2 चोटी, उत्तराखंड में नंदादेवी, सिक्किम में कंचनजंग और अरुणाचल प्रदेश सीमा के नामचे बरवा से शुरू होती है। पहाड़ों में न केवल क्षेत्र पर कब्जा करना मुश्किल है बल्कि इसपर कब्जा किए रखना भी मुश्किल है।’ वहीं कुछ नेताओं ने इस मामले में ट्रंप प्रशासन की आवाजों की सराहना करते हुए कहा है कि नई दिल्ली का मूड आत्मनिर्भर बनने का है। हम किसी से भी सैन्य या राजनयिक समर्थन लेने की इच्छा नहीं रखते हैं। हमने अपनी बटालियनों को बख्तरबंद कर्मियों के वाहक और तोपखानों के साथ खड़ा किया है। भारत किसी झड़प के लिए न तो उकसाएगा और न उपद्रव करेगा बल्कि नियमों के हर उल्लंघन का जवाब देगा और हर उकसावे का मुंहतोड़ जवाब देगा।
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