
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नजफगढ़ में वीरवार को स्पेशल टाॅस्क फोर्स द्वारा सुरखपुर रोड़ पर स्थित अवैध कालोनी में की गई तोड़फोड़ की कार्यवाही ने न केवल अधिकारियों व भूमाफियाओं की सांठगांठ की पोल खोल दी है बल्कि पुलिस व रेवेन्यू विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की भी पोल खोल कर रख दी है। जिसकारण नजफगढ़ में गरीबों के मकान भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गये है। और गरीब न्याय के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं।
नजफगढ़ में वीरवार को सुरखपुर रोड़ पर अवैध कालोनी में हुई तोड़फोड़ भी इसी भ्रष्टाचार का नतीजा है जिसमेे कई गरीबों के मकान तोड़ दिये गये। जबकि उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होने भूमाफियाओं द्वारा बसाई जा रही अवैध कालोनियों में प्लाट लेकर अपना सपनों का मकान बनाया था। जिसमें उन्होने अपनी जीवनभर की कमाई को लगाया था लेकिन भ्रष्टाचार ने न केवल उनसे उनका मकान छीन लिया बल्कि उनके जीवन भर की कमाई भी कुछ ही पलों में जीरो हो गई। जिन लोगों के मकान टूटे है अब उनके छोटे-छोटे बच्चे व बुढे माता-पिता रात भर अपने टूटे मकानों से अपने सामान को बिनते ही रह गये । प्रषासन की एक गलती से न केवल उनका आषियाना छिन गया बल्कि उनके बच्चे भी सड़क पर आ गये। जिसे देखते हुए पीड़ितों का कहना है कि सरकार उन्हे न्याय दिलाये और स्वयं एलजी व प्रधानमंत्री से लोगों ने इस मामले में दखल देने को कहा है। लोगों का आरोप है नजफगढ़ में भ्भूमाफियां धड़ल्ले से अवैध कालोनियों बसा रहे है। ये भूमाफियां न पुलिस से डरते है और न ही रेवेन्यू विभाग उनका कुछ बिगाड़ पा रहा है। नजफगढ़ भू-माफियां खेती की जमीन पर प्लाट काट कर उन्हे लोगों को बेचते रहे हैं। इसमें वह कालोनी में सड़क बनाने से लेकर बिजली के पोल व मीटर लगवाने, पानी कनेक्शन देने तथा सीवर सुविधायें भी उपलब्ध करा रहे है। जबकि सरकार के अथक प्रयास के बावजूद भी अभी तक पुरानी कालोनियों में सरकार पानी व सीवर की सुविधाऐं उपलब्ध नही करा पाई है।
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली में अवैध कालोनियां बसाना कानून के खिलाफ है लेकिन फिर भी भूमाफियां धडल्ले से कालोनियां बसाकर करोड़ों कमा रहे हैं। इनके साथ ही नेता, निगम, रेवेन्यू व पुलिस विभाग भी इस काम में अपना हिस्सा लेकर भूमाफियाओं का साथ देता है। हां इतना जरूर है कि जो लोग प्रशासनिक अधिकारियों को पैसा नही देते तो अधिकारी उन कालोनियों में तोड़फोड़ करते है। बताया जा रहा है कि उक्त सुरखपुर रोड़ कालोनी में भी रेवेन्यू विभाग व दिल्ली सरकार ने भूमाफिया से पैसे की मांग की थी और पांच लाख रूपये दे भी दिये गये थे लेकिन फिर भी इस कालोनी में तोड़फोड़ कर दी गई। हालांकि रेवेन्यू विभाग ने तोड़फोड़ कार्यवाही में हुई हिंसा पर एसडीएम ने पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने एसटीएफ टीम का सहयोग नही किया। उन्होने कहा कि शायद पुलिस भूमाफिया से मिली हुई है। जबकि भूमाफिया प्रशासनिक अधिकारियों को पैसा देने की बात कह रहे है। इस तोड़फोड़ की कार्यवाही से एक बात तो तय हो गई कि पुलिस व रेवेन्यू विभाग में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार व्याप्त है। और यह हिंसा उसी का सबूत है। क्योंकि एसडीएम ने पुलिस पर भूमाफियों व लोगों को भड़काने का आरोप भी लगाया है। हालांकि एसीपी नजफगढ़ विजय सिंह ने ऐसी किसी भी तरह की बात से इंकार किया है और उन्होने मौके का जायजा लेते हुए लोगों से शांति बनाये रखने व अवैध कालोनियों में प्लाट लेने से बचने की भी अपील की है। हालांकि लोगों ने एसीपी को रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की भी अपील की है। लोगों का आरोप है कि डीएम व एसडीएम को तोड़फोड़ की कार्यवाही से पहले अपने विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए थी। क्योंकि ये कालोनी आज तो नही कटी और न ही कोई दो दिन में मकान बना लेता है। सब अधिकारियों की मिलीभगत से ही हो रहा था तो इसका खामियाजा हम क्यों भुगते। लोगों ने बताया कि अवैध कालोनी कटने मे नेता से लेकर निगम, पुलिस व रेवेन्यू विभाग तक को उनका हिस्सा जाता है। जिसके चलते भूमाफियां प्लाट काटने से पहले सड़के, बिजली, पानी व सीवर तक का काम कराते है और लोगों को प्लाटों में मकान बनाने के लिए सामान तक उपलब्ध कराते है।
यहां सबसे बड़ी बात यह है कि अवैध कालानी में एक गरीब कर्ज लेकर या फिर अपने जीवन भर की पूंजी को लगा देता है। हालांकि उसे पता होता है कि यह अवैध कालोनी है लेकिन दिल्ली में तो सभी कालोनियां अवैध है और कालोनी में पुलिस, रेवेन्यू व निगम के अधिकारी लगभग रोज ही आते-जाते रहते है जिसकारण लोग भूमाफियाओं के जाल में फंस जाते है और अपनी जीवन भर की पूंजी लूटा देते है। यहां यह बात भी जरूरी है कि सरकार इस तरह की कालोनियों के खिलाफ होने वाली कार्यवाही में पहले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करे तो ये अवैध कालोनियों का धंधा खुद ब खुद बंद हो जायेगा। लेकिन यहां होता ठीक इसके विपरीत है। भूमाफिया कालोनी काट कर लोगों को प्लाट बेचकर गायब हो जाते है। अधिकारी भी अपना हिस्सा लेकर वहो से चले जाते है लेकिन जब कार्यवाही होती है तो गरीब लोग इसका शिकार हो जाते है। जिससे उनके पास मरने या फिर अपराध करने के अलावा कुछ शेष नही बचता है। इस बात पर अगर सरकार ध्यान करे तो गरीब भी बच सकते है और दिल्ली में खेती की जमीन भी बच सकती है।
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