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नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिवाली के त्यौहार पर इस बार भी लोगों के मन में जिंदगी की बजाये परंपरा ही हावी रही। दिल्ली में इस बार पहले कोरोना और फिर प्रदुषण ने खूब कहर बरपाया लेकिन फिर भी लोग सतर्क रहने की बजाये जिंदगी के प्रति लापरवाह ही दिखाई दिये। दरअसल दिल्ली सरकार ने कोरोना और प्रदुषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए इस बार दिल्ली में पटाखों के बेचने व खरीदने पर रोक लगा दी थी। ताकि लोग प्रदुषण के कहर से बच सके लेकिन लोगों ने सरकारी चेतावनी को अनदेखा करते हुए खूब पटाखें चलाये। लेकिन गनीमत यह रही कि इंद्र देव ने समय पर बूंदाबांदी कर सरकार की लाज बचा ली और दिल्ली के पर्यावरण को भी बचा लिया। हालांकि पटाखों की पांबधी के कारण इस बार दिवाली भाईचारे की बजाये आपसी दुश्मनी का त्यौहार बन गई। और पुलिस ने इसमें आग में घी डालने का काम किया।
दिल्ली में प्रदुषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए सरकार ने इस बार दिवाली पर पटाखें नही चलाने का अभियान चलाया था और दिल्ली वासियों से इसमें सहयोग देने की अपील की थी। वहीं चिकित्सकों ने भी पहले ही प्रदुषण को लेकर चेतावनी जारी कर दी थी कि प्रदुषण से कोरोना का कहर बढ़ सकता है। जिसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। और पुलिस को बेचने व खरीदने वालों के खिलाफ विस्फोटक एक्ट में कार्यवाही करने के निर्देश भी जारी किये गये थे। हालांकि दिल्ली की आम आदमी पार्टी के आदेश के बाद ही दिल्ली में पटाखों को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई थी और कुछ हिंदू धार्मिक संस्थाओं ने तो इसे हिंदू त्यौहारों पर सीधे-सीधे हमले का आरोपी भी सरकार पर लगा दिया था। जिसे देखते हुए सरकार की परेशानी बढ़ना तो तय था। फिर भी सरकार विभिन्न माध्यमों से लोगों से बार-बार पटाखे नही चलाने का अनुरोध करती रही। लेकिन सरकार के अनुरोध को दरकिनार करते हुए दिल्ली में लोगों ने खूब पटाखें छोड़े। साथ ही पुलिस की मौजूदगी में ही पटाखों की दूकानदार खुले आम बिक्री कर रहे थे और पुलिस आंखें बंद किये हुए थी। यहां तक इस बार दिवाली का त्यौहार भाईचारें की बजाये आपसी दुश्मनी का त्यौहार बन गया।
हालांकि द्वारका पुलिस जिले में पुलिस ने विभिन्न थानों में पटाखों की बिक्री में लगे करीब 75 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर कार्यवाही की। लेकिन नजफगढ़ थाना पुलिस इस मामले में तमाशबीन बनी रही और पुलिस की मौजूदगी में न केवल पटाखों की खूब बिक्री हुई बल्कि जिन लोगों ने सरकार का साथ देते हुए पुलिस को ऐसी कार्यवाही की सूचना दी तो पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाये उलटा शिकायतकर्ताओं को थाने में बुलाकर खूब बेइज्जत किया। जिसकारण दिवाली का त्यौहार लोगों के लिए भाईचारे की बजाये दुश्मनी का त्यौहार बन गया। इस संबंध में जब एसीपी नजफगढ़ व एसएचओ नजफगढ़ से बात करनी चाही तो उन्होने बात करने से इंकार कर दिया। हालांकि द्वारका डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने दिल्ली में सबसे ज्यादा अवैध विस्फोटक रखने के जुर्म में मामले दर्ज किये है लेकिन डीसीपी थानों में क्या हो रहा है इसकी जानकारी नही ले पाये जिसकारण लोगों को काफी पीड़ा सहनी पड़ी।
जिस तरह से दिल्ली में परंपरा के नाम पर पटाखें चलाये गये और लोगों की जिंदगी दांव पर लगाई गई उसे देखे तो इस समय दिल्ली में प्रदुषण स्तर की इंतेहा हो जानी चाहिए थी और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने तो इस पर राजनीति भी की लेकिन गनीमत यह रही कि समय पर इंद्र देव आ गये और उन्होने बूंदाबांदी कर दिल्ली की सरकार, दिल्ली के पर्यावरण व दिल्ली के लोगों को प्रदुषण की मार से बचा लिया। दिल्ली में गोवर्धन पूजा के समय आई बूंदाबांदी से सरकार व किसान दोनो ही खुश दिखाई दिये। बस मायूसी उन चेहरों पर जरूर आ गई जो लोगों को परंपरा व हिंदू धर्म का कुछ और ही पाठ पढ़ा रहे थे।
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