
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कई महीनों से भारत चीन सीमा पर चल रहे विवाद के बीच अब चीन ने एकदम से अपना रूख बदल लिया है। ड्रैगन ने सीमाओं पर मुंह की खाने के बाद अपना नया पैंतरा दिखाते हुए न केवल अब अलापा शांति का राग अलापना शुरू कर दिया है बल्कि भारत को चीन का दुश्मन नही माना है। चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाईम्स के अनुसार चीन ने दिल्ली को लेकर अपनी नीति में कोई बदलाव नही किया है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा, हम भारत को दुश्मन की तरह नहीं देखते हैं। भारत को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए हम भारत से सहयोग करने के लिए तैयार हैं। इसने कहा, पुरानी स्थिति बहाल होने में थोड़ा वक्त जरूर लगेगा, दोनों देशों को एक दूसरे से मुलाकात करते रहना होगा।
लद्दाख सीमा पर पिछले कई महीनों से तनाव जारी है। चीन की तरफ से की जा रही घुसपैठ की कोशिश आग में घी डालने का काम कर रही है। मानसून सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को कड़े शब्दों में जवाब दिया है। वहीं, चीन की तरफ से दोनों देशों के बीच शांति बहाली की बात कही जा रही है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि बीजिंग ने नई दिल्ली को लेकर अपने रूख में कोई परिवर्तन नहीं किया है। गौरतलब है कि इस अखबार ने कई दफा भारत के साथ युद्ध करने की बात को दोहराया था।
चीन को दिया कड़ा संदेश
वहीं, संसद के मानसून सत्र के शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, जब तक दवाई नहीं तब तक कोई ढिलाई नहीं। हम चाहते हैं कि दुनिया के किसी भी कोने से जल्द से जल्द इसकी वैक्सीन विकसित हो, हमारे वैज्ञानिक सफल हों और हम इस समस्या से सभी को बाहर निकालने में सफल हों। मुझे विश्वास है कि सभी सदस्य मिलकर संदेश देंगे कि पूरा देश जवानों के साथ खड़ा है जो सीमा पर डटकर मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं। जवान दुर्गम पहाड़ियों में देश की रक्षा के लिए डटे हुए हैं।
चीन करवा रहा जासूसी
दूसरी तरफ, चीन की नापाक हरकत को लेकर एक और खुलासा हुआ है। बताया गया है कि चीन की कुछ कंपनियों द्वारा भारत में जासूसी की जा रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री तक, मुख्यमंत्री से लेकर सेना के वरिष्ठ अफसरों तक की जासूसी की जा रही है। इसके अलावा, देश के प्रमुख उद्योगपतियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी चीन के निशाने पर हैं।
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