
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बीजिंग/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों ने अपने स्थान से पीछे हटना शुरू कर दिया है। वहीं भारतीय सेना भी अपने स्थान से कुछ पीछे हटी है। चीनी सेना द्वारा उठाए जा रहे इस कदम को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। मंत्रालय ने कहा है कि 30 जून को दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के बाद सैनिक पीछे हटे हैं। वहीं, चीनी सैनिकों की इस स्थिति को लेकर भारतीय सेना की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लेह यात्रा के बाद चीन को गये एक निर्णायक व दृढ़ संदेश के बाद ही चीन ने यह कदम उठाया है।
वहीं, भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों के बीच आपसी सहमति के बाद पूर्वी लद्दाख के चार प्वाइंट्स, जिनमें पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 (गलवां घाटी), पेट्रोलिंग प्वाइंट 15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर क्षेत्र से चीनी सेना पीछे हटी है। सूत्रों ने बताया कि सीमा विवाद को लेकर कोर कमांडर स्तर की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुरूप चीनी सेना ने विवाद वाले क्षेत्र से टेंट, वाहनों और सैनिकों को 1-2 किलोमीटर पीछे कर लिया है। सूत्रों ने बताया है कि चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी गलवां नदी क्षेत्र के गहराई वाले इलाके में मौजूद हैं। हालांकि, भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है। सूत्रों ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के जिम्मेदार रुख और संदेश को विश्व स्तर पर मान्यता मिली हुई है। बीजिंग में भारत-चीन संबंधों के जानकारों की भी यही राय है कि वर्तमान सीमा विवाद को हल किया जाना चाहिए। सूत्रों ने कहा है कि भारत ने बीजिंग को एक निर्णायक संदेश दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा उसके लिए सर्वोपरि है।
गौरतलब है कि, गलवां घाटी में 15-16 जून की दरमियानी रात भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इस झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। शहीद जवानों में कर्नल रैंक के एक अधिकारी भी शामिल थे। वहीं, इस हिंसक झड़प में चीनी पक्ष के भी 43 जवान हताहत हुए थे। हालांकि, चीन ने अपने हताहत सैनिकों के बारे में जानकारी साझा नहीं की।
सीमा पर हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। झड़प में शहीद हुए जवानों को लेकर देश में लोगों के बीच चीन के प्रति आक्रोश है। जिसपर हाल ही में, भारत सरकार ने टिकटॉक समेत चीन के 59 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। लोग चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं। भारत सरकार ने भी चीनी कंपनियों को दिए गए प्रोजेक्ट को रद्द करना शुरू कर दिया है।
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