नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देहरादून/नई दिल्ली/मनोजीत सिंह/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चार धाम से अच्छी खबर आयी है लॉक डाउन के बीच। चारों धाम को रेल से जोड़ने के लिए अब गंगोत्री-यमुनोत्री रेल लाइन के लिए क्च्त् यानि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर दी गयी है। जल्द ही रुट पर निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
रेल विकास निगम ने डोईवाला से गंगोत्री व यमुनोत्री तक रेल लाइन बिछाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर दी है। इसे स्वीकृति के लिए सचिव परिवहन उत्तराखंड को भेजा गया है। वहीँ दूसरी तरफ चारधाम रेल सर्किट के तहत ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर निर्माण कार्य जारी है। ऋषिकेश में स्टेशन का काम पूरा हो चुका है। आगे टनल और पुलिस बनाने का लिसबनाने का काम चल रहा है। वहीँ रेल विकास निगम ने कई चरण का सर्वे पूरा करने के बाद अब इसकी डीपीआर भी तैयार कर ली है. इस परियोजना की कुल लागत 20 हजार 500 करोड़ रुपये आ रही है।क्च्त् रिपोर्ट दो साल के मेहनत के बाद तैयार हुई है। डीपीआर के गठन को 386 किमी लंबाई में सर्वेक्षण कार्य किया गया, जिसके अंतर्गत भूवैज्ञानिक व डीजीपीएस सर्वेक्षण और हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन भी शामिल था। इसके अलावा 153 किमी लंबाई में रिमोट सेंसिग व सैटेलाइट इमेजरी भी कराई गई है। बताया कि हिमालय क्षेत्र में आज तक किसी भी परियोजना में इस प्रकार विस्तृत भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण नहीं किया गया। परियोजना का एलाइनमेंट फ्रिज करते हुए उत्तराखंड शासन से परियोजना पर राय भी मांगी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी चार धाम को रेल से जोड़ा जायेगा उसी कड़ी में यह काम हो रहा है. आल वेदर रोड का काम भी इसी कड़ी में चल रहा है। चार धाम यात्रा को सुगम और सरल बनाने के लिए। ताकि श्रद्धालु गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम के आसानी से दर्शन कर सकें। निगम के परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने बताया कि 121.5 किमी लंबी इस रेल परियोजना में कुल दस स्टेशन होंगे, जो डोईवाला से शुरू होते हुए बड़कोट में समाप्त होंगे। परियोजना में उत्तरकाशी का मातली स्थित स्टेशन सबसे बड़ा नौ लाइन का होगा। जबकि, बड़कोट स्टेशन पांच लाइन और शेष आठ स्टेशन तीन लाइन के प्रस्तावित हैं। इस ट्रैक पर क्च्त् रिपोर्ट के अनुसार 10 नए स्टेशन बनाये जायेंगे जिनमें रेल लाइन डोईवाला से शुरू होगी और इसका पहला स्टेशन भानियावाला होगा। इसके बाद दूसरा स्टेशन रानीपोखरी, तीसरा जाजल, चैथा मरोड़ा, पांचवां कंडीसौड़, छठा सरोट, सातवां चिन्यालीसौड़, आठवां डुंडा, नवां उत्तरकाशी मातलि जिसे कहते हैं और दसवां बड़कोट में बनाया जाएगा।
इस रुट पर 15 किमी लंबी होगी रेल टनल होगी। जिसमें डीपीआर के अनुसार प्रोजेक्ट की कुल लंबाई (121.5 किमी) में 17 छोटे-बड़े रेल पुल बनाए जाएंगे। इसके अलावा रेल लाइन 84.603 किमी दूरी सुरंगों के भीतर तय करेगी। इस परियोजना पर कुल 25 सुरंगें बनेंगी, जिनमें जाजल से मरोड़ा स्टेशन को जोड़ने वाली सबसे लंबी सुरंग 15 किमी की होगी। पहाड़ में रेल चढ़ेगी तो आम जन और पर्यटन का विकास होगा। जो लोग पहाड़ में आने -जाने में दिक्कत महसूर करते थे उन लोगों के लिए काफी सुगम हो जाएगी यात्रा। क्योँकि अधिकतर लोग पहाड़ में यात्रा करने के दौरान सर घूमने से उलटी करते हैं। अधिकतर इस वजह से पहाड़ की यात्रा नहीं करना चाहते हैं. रेल चल जाने के बाद इस समस्या से निजात पाएंगे काफी यात्री। इसके बाद उम्मीद है लोगों को कुमाऊं मंडल में टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन का भी कुछ शुरुवात हो पाएगी. क्योँकि कुमाऊं मंडल में अभी हल्द्वानी-काठगोदाम तक रेल लाइन है। जो अंग्रेजों के समय से है और टनकपुर तक है। टनकपुर से बागेश्वर की रेल लाइन का मामला कई बार उठा है लेकिन अभी फिलहाल लोगों द्वारा उम्मीद ही जताई जा रही है इस लाइन पर कुछ शुरू होगा काम।
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