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    कोरोना ने बढ़ा दी किसानों की मुश्किल, फसल कार्य हो रहा प्रभावित

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली देहात में अपने अस्तित्व को बचाने को लेकर पहले से ही किसान काफी परेशानी का सामना कर है। ऊपर से कोरोना ने किसानों की समस्या और भी बढ़ा दी है। जिसकारण किसानों के सामन जीवन-मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है। कोरोना के चलते मजदूर नही मिलने से फसल कटाई का काम तो प्रभावित हो रहा था पूरा नही हो पा रहा है ऊपर से इंद्र देव भी किसानों के पीछे पडे़ हुए है और बार-बार बारिश व ओलावृष्टि कर तैयार खड़ी फसलों को तबाह करने में लगे है।


                                                  भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र डागर ने अंतर्राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर किसानों की समस्या पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि दिल्ली देहात मे करीब 80 गांव आते है जहां लोगों का मुख्य पेशा व उनकी आजीविका खेती सही ही चलती है। दिल्ली में पहले ही सरकार किसानों को मिटाने के लिए एसइजेड, आर जोन व ग्रीन जोन बना कर रियल ईस्टेट के कार्यों को बढ़ावा दे रही है। जिसकारण दिल्ली में के किसान पहले ही अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में पड़े है। साथ ही कोरोना ने किसानों को बिल्कुल बर्बाद कर दिया है। ऊपर से इंद्र देव भी किसानों के पीछे हाथ धो कर पड़े है। ऐसे में अन्नदाता की मुश्किलों को देखते हुए दिल्ली व केंद्र सरकार को किसानों को आर्थिक पैकेज देना चाहिए ताकि इस मुश्किल समय में वह अपने आप को बचा सकें। उन्होने कहा कि केंद्र सरकार उद्योगों के लिए तो बहुत कुछ कर रही है लेकिन जो देश का असली अन्नदाता है उसके बारें में कोई नही सोच रहा है। हम किसान ही लोगों को अन्न देकर उनकी भूख शांत करते है। अगर किसानों की ही उपेक्षा हुई तो देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ा जायेगी। उन्होने कहा कि 70 प्रतिशत किसानों की फसल खराब हो चुकी है और अगली फसल की बुआई की कोई आस नही दिखाई दे रही है तो ऐसे में किसान आत्महत्या नही करेगा तो और क्या करेगा। इसके लिए सरकार को सोचना चाहिए। इस संबंध में समसपुर के किसान अनिल डागर ने बताया कि कोरोना संकट में करीब 60 प्रतिशत किसानों की फसले मजदूरों की कमी के चलते कट नही पाई है। रोज-रोज मौसम खराब होने से भी किसानों की फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। जैसे-तैसे किसान फसल काट भी रहे है तो उसे निकालने के लिए भी मशीने उपलब्ध नही है जिसकारण किसान की पकी फसल उसके हाथ से निकलती जा रही है। उन्होने कहा कि सरकार को किसानों की इस हालत पर राहत भरे कदम उठाने चाहिए। और किसानों को हुए उनके नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक पैकेज देने की घोषणा करनी चाहिए। तभी किसान अपना अस्तित्व बचा सकेगा और तभी किसान आत्महत्या से भी बचा रहेगा।

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