कोरोना ने बदल दिया बद्रीनाथ-केदारनाथ के कपाट खुलने का इतिहास

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 8, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

कोरोना ने बदल दिया बद्रीनाथ-केदारनाथ के कपाट खुलने का इतिहास

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देहरादून/नई दिल्ली/मनोजीत सिंह/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सनातनी धार्मिक आस्था के सबसे बड़े धामों केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि में बदलाव हुआ है। अब कपाट 14 और 15 मई को खोले जायेंगे। लॉकडाउन के चलते कपाट खोलने में दिक्कत हो रही थी। रावल भी एकांतवास में है। ऐसे में श्रद्धालु भी एकत्रित नहीं हो सकते थे क्योँकि भीड़ एकत्रित होती और संक्रमण का खतरा बना रहता। ऐसे में आज तिथि बदलने का फैसला लिया गया। यह इतिहास में पहली बार हो रहा है कि कपाट खुलने की निर्धारित तिथि में बदलाव किया गया है। यह सब कोरोना वायरस के कारण हुआ है।  
                                                    अब उत्तराखंड में भगवान बद्रीधाम धाम के कपाट 15 मई को सुबह साढ़े 4 बजे खुलेंगे। गाडु घड़ा परंपरा के लिए तिल का तेल निकालने के लिए 5 मई की तिथि तय की गई है, जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 14 मई को खुलेंगे और बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे। परंपरा के मुताबिक केदारनाथ के कपाट बद्रीनाथ के कपाट खुलने से एक दिन पहले ही खुलते हैं चूंकि बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के रावल दोनों चैदह दिन के लिए क्वारंटाइन पर रहेंगे इसलिए टिहरी के राजा मनुजेंद्र शाह ने सोमवार को नई तिथियों की घोषणा की। पहले केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि 29 अप्रैल थी, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि 30 अप्रैल घोषित हुई थी। उत्तराखण्ड के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी कहा कि स्थिति की समीक्षा करने के बाद धामों के खुलने की तिथि बदलने का फैसला लिया गया है. बाकी दा ेअन्य धाम गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पहले से ही तय तिथि 26 अप्रैल को खोल जाएंगे। वहीँ मनुजेंद्र शाह ने तिथि बदले जाने पर कहा – मुझे याद नहीं है कि पहले कभी ऐसा हुआ हो. लेकिन इस बार बात कुछ और है। हमें हरेक के स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। टिहरी राजपरिवार के राजा ने कहा कि केवल रावल या फिर फिर मेरे पास ही प्रतिमाओं को छूने और पूजा अर्चना करने का अधिकार है। बदरीनाथ में दक्षिण भारतीय रीति रिवाजों के अनुसार पूजा पाठ होता है जिसके लिए रावल केरल से आते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई उत्तर भारत का पुजारी पूजा अर्चना करे क्योंकि रीति-रिवाज एक जैसे नहीं हैं।  इस वजह से भी तिथियों में बदलाव करना पड़ा। नई तिथि तक रावल अपना क्वारंटाइन पीरियड भी खत्म कर लेंगे। परम्परा यह है कि धामों के कपाट खुलने से पहले केदारनाथ और बदरीनाथ के रावल श्रद्धालुओं से दान लेने और उन्हें धाम आने का न्योता देने के लिए अलग-अलग राज्यों में जाते हैं। लॉकडाउन के चलते रावल केरल और महाराष्ट्र में फंसे रह गए थे। ऐसे में रावल को भी एकांतवास में रहना जरुरी है तभी पूजा कर पाएंगे। चार धाम यात्रा के लिए देश विदेश के लाखों श्रद्धालु उत्तराखण्ड हर साल आते हैँ।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox