चीन ने फिर की घुसपैठ की हिमाकत, भारतीय सेना ने दिया जवाब

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
May 19, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

चीन ने फिर की घुसपैठ की हिमाकत, भारतीय सेना ने दिया जवाब

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- भारत और चीन के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में एक बार फिर झड़प हुई है। दोनों देशों के जवानों के बीच हुई ये झड़प पेंगोंग त्सो झील के किनारे हुई है। सरकार ने बयान जारी बताया कि 29-30 अगस्त की रात चीनी सैनिकों ने सीमा पर घुसपैठ की, जिसे भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। वहीं, सूत्रों ने बताया है कि चीन 500 सैनिकों के साथ घुसपैठ करना चाहता था। 
भारतीय सेना के पीआरओ कर्नल अमन आनंद ने कहा, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों ने 29-30 अगस्त की रात को पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध के दौरान दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए हुई सैन्य और राजनयिक बातचीत का उल्लंघन किया और यथास्थिति को बदलने के लिए घुसपैठ की।
भारतीय और चीन सैनिकों के बीच सीमा पर हुई ताजा बहस को लेकर चीन अब सीनाजोरी दिखा रहा है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में चीनी विदेश मंत्री ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है। चीनी विदेश मंत्री ने कहा है कि चीनी सैनिकों ने हमेशा एलएसी का पालन किया है और कभी लाइन को क्रॉस नहीं किया। मुद्दे को लेकर दोनों देशों की सेनाएं बात कर रही हैं।
पेंगोंग त्सो झील 1962 में हुए भारत-चीन जंग की धुरी रही थी। भारतीय सेना के हिसाब से इसे बेहद ही रणनीतिक माना जाता है। तिब्बती में त्सो का अर्थ होता है झील। यह झील लद्दाख में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक लंबी, संकरी और गहरी झील है। दोनों देशों की सेनाओं द्वारा लगातार इस झील में पेट्रोलिंग की जाती है। 

500 सैनिकों के साथ घुसपैठ की थी योजना
चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ के लिए बड़े स्तर पर योजना बना रखी थी। सूत्रों ने बताया है कि चीन 500 सैनिकों के साथ घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन भारतीय जवानों के साहस ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया। इससे पता चलता है कि चीन की योजना इस इलाके में अड़ जाने की थी। 

क्यों महत्वपूर्ण है पेंगोंग झील
पेंगोंग झील या पेंगोंग त्सो लद्दाख में भारत-चीन सीमा क्षेत्र में स्थित है। यह 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 134 किलोमीटर लंबी है और लद्दाख से तिब्बत तक फैली हुई है। इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में स्थित है जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के मध्य से गुजरती है। इसका जल खारा होने के कारण इसमें मछली या अन्य कोई जलीय जीवन नहीं है। परंतु यह कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल है। इसे रैमसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की नमभूमि स्थल घोषित किए जाने की चर्चा चल रही है। 19वीं शताब्दी के मध्य में यह झील जॉनसन रेखा के दक्षिणी छोर पर थी। जॉनसन रेखा अक्साई चीन क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का एक प्रारंभिक प्रयास था। इस क्षेत्र में खर्नाक किला है जो इस झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यह किला अब चीन के नियंत्रण में है। 20 अक्तूबर, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीनी सेना ने यहां सैन्य कार्रवाई की थी। पूर्व में इस झील से श्याक नदी (सिंधु नदी की एक सहायक नदी) निकलती थी लेकिन प्राकृतिक बांध के कारण यह बंद हो गई है।
  इस झील का भ्रमण करने के लिए एक इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है क्योंकि यह भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थित है। भारतीय नागरिक व्यक्तिगत परमिट प्राप्त कर सकते हैं, अन्य लोगों को एक मान्यता प्राप्त मार्गदर्शक के साथ समूह परमिट (कम-से-कम तीन व्यक्तियों के साथ) होना चाहिए। लेह में स्थित पर्यटन कार्यालय यह परमिट जारी करता है। सुरक्षा कारणों से भारत इस झील में नौकायन की अनुमति नहीं देता है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox