
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नजफगढ़ में इन दिनो कोरोना के नाम पर दुकानदारों में पैसे कमाने की होड़ सी लगी है। हर चीज के दाम आसमान छू रहे है। यहां तक कि भारी मुनाफे को देखते हुए कुछ दूकानदार तो अब घटिया सैनिटाइजर भी बेचने से गुरेज नही कर रहे है। चाहे इसका लोगों की सेहत पर कितना ही बुरा प्रभाव पड़े उन्हे इससे कोई मतलब नही है।
कंपनियों ने नकली और खतरनाक सैनिटाइजर मार्केट में उतार दिए गए हैं। जानकारी न होने पर लोग धड़ल्ले से इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे कोरोना व अन्य बैक्टीरिया तो मर ही नहीं रहे हैं, लेकिन मिथेनॉल की मिलावट होने से लोगों की जान पर खतरा जरूर बन गया है। लेकिन जिले का औषधि विभाग कई मामले सामने आने के बाद भी अभी सोया हुआ है। अधिकारी तो शिकायतकर्ता से ही उल्टा सवाल कर रहे है कि आप बताये कहां बिक रहा है और आप हमे शिकायत दे तभी हम कार्यवाही करेंगे।
कोविड काल में सैनिटाइजर का चलन काफी बढ़ गया है। घरों, कर्यालयों में तो लोग बाहर से आने पर हाथ सैनिटाइज कर ही रहे हैं। साथ ही, इसकी बोतल भी साथ लेकर चलने लगे हैं। बाजार में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए कुछ कंपनियों ने पैसे कमाने के लिए नकली सैनिटाइजर बनाकर बेचने शुरू कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन को दूकानों से सैनिटाइजर के सैंपल लेकर नमूनों की जांच करनी चाहिए लेकिन अधिकारी शिकायत के बाद भी कुछ करने को तैयार नही है। जिसकारण कई लोग नकली सैनिटाइजर के कारण जख्मी हो चुके है। कई लोगों के हाथ व हथेली में फफोले व जख्म हो गये है। फिर भी प्रशासन सोया हुआ है। जब दूकानदारों को कहा जाता है तो वो यही कहते है कि हम थोड़ा बनाते है। कंपनियों से आता है। सरकार व प्रशासन का काम है इन्हे जांच करना लेकिन अधिकारी व सरकार कुछ करने को तैयार नही है। इसमे हमारा क्या दोष।
इस संबंध में जब एसडीएम सतीश गुप्ता से बात की गई तो उन्होने कहा कि आप हमे शिकायत दे हम कार्यवाही करेंगे। साथ ही उन्होने कहा कि हो सकता है दूकानदार नकली सेनिटाइजर बेच रहे हो। लेकिन हमारे पास अभी तक ऐसी कोई शिकायत नही है। हालांकि यूपी मे ंकुछ जगहों पर औषधी विभाग की कार्यवाही में ऐसे नमुने सामने आये है जिनसे यह सिद्ध होता है कि बाजार में नकली व घटिया सामग्री से युक्त सैनिटाइजर बेचे जा रहे है लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार व नजफगढ़ प्रशासन इसकी जांच व इसके खिलाफ कार्यवाही करने को तैयार नही है।
आइये हम बताते है नकली और असली में ऐसे करें फर्क
लोगों को सैनिटाइजर की खरीदारी करते समय नकली और असली का विषेश ध्यान देने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकार ने सिर्फ आइसोप्रोफाइल एल्कोहल या एथेनॉल युक्त सैनिटाइजर को ही मंजूरी दी है।
ऐसे में लोग इनके मिश्रण वाले सैनिटाइजर का ही इस्तेमाल करें। वहीं, कई कंपनियां प्रोपेनॉल समेत दूसरी तरह की चीजें डालकर सैनिटाइजर बना रही हैं। इसके अलावा कुछ में एल्कोहल का प्रतिशत कम है। ये सब सैनिटाइजर बेअसर हैं। इसलिए कभी भी सैनिटाइजर की बोतल खरीदने से पहले उसपर लिखे पदार्थों के मिश्रण की जानकारी को अच्छे से पढ़ लें।
मेथेनॉल वाला हैंड सैनिटाइजर इसलिए खतरनाक
स्वास्थ्य एजेंसियों के मुताबिक मेथेनॉल एल्कोहल का एक ऐसा रूप है, जो बहुत जहरीला होता है। मेथेनॉल का इस्तेमाल आमतौर पर रेसिंग गाड़ियों के ईंधन में और एंटीफ्रीज के तौर पर किया जाता है।
मेथेनॉल इतना खतरनाक हो सकता है कि इसे त्वचा पर लगाने से यह सीधे स्किन के अंदर चला जाता है और गंभीर मामलों में जानलेवा भी हो सकता है। मेथेनॉल युक्त सैनिटाइजर को हाथों पर लगाने से जहरीला प्रभाव फैल सकता है। यहां तक कि ऐसा एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर सूंघना भी खतरनाक हो सकता है।
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