• DENTOTO
  • डॉ. कफील पर रासुका लगाना अवैध, हाईकोर्ट ने दिया तुरंत रिहाई का आदेश

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    May 2025
    M T W T F S S
     1234
    567891011
    12131415161718
    19202122232425
    262728293031  
    May 15, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    डॉ. कफील पर रासुका लगाना अवैध, हाईकोर्ट ने दिया तुरंत रिहाई का आदेश

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सीएए, एनआरसी के विरोध में आपत्तिजनक भाषण देने के आरोपी बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के निलंबित डॉक्टर कफील पर रासुका के तहत की गई कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया है। कोर्ट ने डॉक्टर कफील पर रासुका लगाने संबंधी डीएम अलीगढ़ के 13 फरवरी 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है। दुबारा रासुका की अवधि बढ़ाने को भी कोर्ट ने अवैध करार देते हुए कफील खान को रिहा करने का आदेश दिया है।
    डॉ. कफील खान की मां नुजहत परवीन ने रासुका के तहत निरुद्धि के आदेश को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने इसे स्वीकार करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी की है। डॉ. कफील पर रासुका लगाने के आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए पीठ ने कहा कि बंदी को उसका पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया, जिन आशंकाओं पर रासुका तामील की गई उससे संबंधित लिखित दस्तावेज उसे मुहैया नहीं कराए गए।
    कोर्ट में कफील द्वारा 12 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के गेट पर दिए गए भाषण की सीडी दी गई। मगर इसे चलाने के लिए कोई उपकरण मुहैया नहीं कराया गया, इससे एक प्रकार से यही माना जाएगा कि उनको उन पर लगे आरोपों से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। ऐसा न करना बंदी के अनुच्छेद 22(5) में मिले मौलिक अधिकार का हनन है।
    पीठ ने सरकार की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि कफील खान जेल में रहते हुए भी लगातार एएमयू के छात्रों के संपर्क में थे। जिससे शहर की लोक शांति भंग होने का खतरा था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है कि कफील छात्रों से किस प्रकार से संपर्क में थे। वह राज्य की निरुद्धि में है जहां उनके पास कोई इलेक्ट्रिनिक डिवाइस नहीं थी। जिससे बाहर संपर्क हो सके। मुलाकतियों के जरिए संदेश बाहर भेजने का भी कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। रासुका के तहत की गई कार्रवाई में जिन तथ्यों के आधार पर बंदी द्वारा शांति व्यवस्था भंग करने की आशंका जताई गई है, उनकी पुष्टि के लिए आदेश में कोई तथ्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कफील खान पर की गई रासुका के तहत कार्रवाई और उसकी अवधि बढ़ाने का आदेश दोनों कानून की नजर में अवैधानिक है।
    उल्लेखनीय है कि डा. कफील खान को सीएए्, एनआरसी के विरोध में एएमयू के छात्रों के बीच भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया था। 10 फरवरी को सीजेएम अलीगढ़ ने उनकी जमानत मंजूर कर ली। रिहाई का आदेश 13 फरवरी को जेल पहुंचा और इसी दिन कफील पर जिलाधिकारी अलीगढ़ ने पुलिस की मांग पर रासुका तामील करने का आदेश जारी कर दिया। रासुका लग जाने के कारण उनकी रिहाई नहीं हो सकी। इससे पूर्व डा. कफील पर गोरखपुर के गुलहरिया थाने में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई में धांधली के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने पर वह रिहा हुए थे। याची ने डॉ. कफील खान की रासुका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए तय करने का आदेश दिया है। इस मामले में प्रदेश सरकार और याची के सीनियर वकील द्वारा पहले भी कई बार समय मांगा गया था।

    प्रियंका गांधी ने किया ट्वीट- आशा है यूपी सरकार उन्हें जल्द रिहा करेगी
    आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. कफील खान के ऊपर से रासुका हटाकर उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया। आशा है कि यूपी सरकार डॉ. कफील खान को बिना किसी विद्वेष के अविलंब रिहा करेगी। डॉ. कफील खान की रिहाई के प्रयासों में लगे तमाम न्याय पसंद लोगों व उप्र कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मुबारकबाद।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox