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नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देहरादून/नई दिल्ली/मनोजीत सिंह/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोटद्वार के शिवराजपुर में खनन भंडारण को लेकर वन बिभाग एवं राजस्व की जमीन पर अवैध कब्जे के प्रयास को लेकर क्षेत्रवासियों को अब और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। परेशानियों को लेकर सुषमा जखमोला के नेतृत्व में क्षेत्रवासियों ने 18 जून को उपजिलाधिकारी को समस्या निवारण के लिए ज्ञापन पत्र दिया गया था। 23 जून को जखमोला को धमकी मिल गयी. इस बाबत अब जखमोला ने पुलिस को नामजद तहरीर दी है. वहीँ जखमोला ने अपनी जान माल के खतरे की सुरक्षा की आशंका जताई है. तहरीर में जखमोला ने जानकारी दी है. संजय रावत अध्यापक नंदपुर, दीपक पोखरियाल वकील व अन्य लोगों द्वारा मेरी गौशाला में आकर शिकायत वापस लेने की धमकी दी गई । इस बात को लेकर सुषमा जखमोला ने कोटद्वार थाने मे रिपोर्ट दर्ज कराकर सुरक्षा की मांग की है.
तहरीर में उन्होंने लिखा है मैनें व् क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा उप-जिलाधिकारी कोटद्वार को 18 जून को एक ज्ञापन दिया था और समस्या के उचित निराकरण की मांग उठाई थी. जिसकी प्रति सलंग्न की गयी. इसके बाद से खनन व् भण्डारण से जुड़े लोगों द्वारा मुझे हर तरफ से परेशान किया जा रहा है और धमकाया जा रहा है. 23 जून को शाम 6रू30 बजे संजय रावत सरकारी अध्यपाक, दीपक पोखरियाल (वकील) व् अन्य तीन ब्यक्ति गौशाल एक पास आये और झगड़ा व् अभद्रता शुरू कर दी, उन्होंने कहा अपनी शिकायत वापस ले लो वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहो. उसके बाद लगातार वहां आने-जाने वाले लोग आकर हमें हर तरह से धमकाने ध्डराने में लगे हुए हैं. फिर 23 जून को भी एक मिस कॉल आयी, मैंने वापस फोन किया तो उस ब्यक्ति ने अपना नाम दीपक भंडारी, वकील, ब्लॉक प्रमुख जयहरीखाल बताते हुए अपना परिचय दिया और उपरोक्त शिकायत पर धमकाते हुए बोला आप मामले में चुप रहो और मामले में दखल मत दो. हमारी पहुँच से तुम अनजान हो. हमारी पहुँच ऊपर तक है हम अपना काम करते रहेंगे, आप हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते.
जखमोला ने पुलिस से तहरीर में मांग की है मेरे और मेरे परिवार के लिए जान व् माल का खतरा हो गया है. अगर कल को कोई घटना घटित होती है तो ये चिन्हित लोग एवं प्रशासन जिम्मेदार होंगे. मेरी एवं मेरे परिवारजनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी. इसलिए जखमोला ने अनुरोध किया है शिकायत पत्र में रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की कृपा करें. दरअसल वह भूमि जहाँ पर भण्डारण हो रहा था वह वन बिभाग एवं राजस्व बिभाग की बताई जा रही है. उसके पास ही नदी है उसमें पट्टा किसी ब्यक्ति को अलॉट हुआ था खनन करने के लिए. बताया जा रहा है कि अब खनन करने के उपरांत भण्डारण के लिए वन बिभाग एवं राजस्व की जमीन
पर अवैध कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन सवाल यह उठता है जब वन भूमि की जमीन में भण्डारण की अनुमति किसने दी ? और पट्टा मानकों की अनदेखी करते हुए कैसे अलॉट हुआ ? उस क्षेत्र में तो कैसे और किस मानक के आधार पर दिया गया ? जबकि नियम अनुसार पटवारी मौका मुवायना करता है, तहसीलदार पुष्टि करता है. लेकिन अगर मौका मुवायना किया था तो किन मानकों के आधार पर पट्टा अलॉट किया गया और भण्डारण किस मानकों के आधार पर करने के अनुमति दी गयी. बड़ा सवाल है. वहीँ वन बिभाग और राजस्व विभाग अब संयुक्त जांच करने की बात कर रहे हैं. वही अखिलेश तिवारी 27 जून को दोनों विभागों की संयुक्त जांच कराने की बात कह रहे हैं. अगर निष्पक्ष जांच होती है तो दोनों विभागों के कई अधिकारी,कर्मी कार्रवाई के लपेटे में आ सकते हैं. वहीँ इस मामले में जब एसओ,सीओ,एसपी को कई बार संपर्क करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. वहीँ जखमोला ने मामले में राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री ,गृह मंत्री भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, उत्तराखण्ड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, राजयपाल और मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर न्याय दिलाने की मांग की है।
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