नई शिक्षा नीति में 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूल पहुंचाने का लक्ष्य

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

नई शिक्षा नीति में 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूल पहुंचाने का लक्ष्य

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी प्रदान करने के साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य रखा गया है। यानी के हर बच्चे को शिक्षित करना या उस तक शिक्षा पंहुचाना सरकार की जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा एक शिक्षा नीति के तहत अब राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण में सभी सरकारी और निजी स्कूल शामिल होंगे। पहली बार सरकारी और निजी स्कूलों में एक नियम लागू होंगे। इससे निजी स्कूलों की फीस, पाठ्यक्रम तथा वेतन आदि पर लगाम लगेगी।
ग्रामीण, पिछड़े व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए स्कूलों में नाश्ता भी मिलेगा। अब तक मिड-डे मील में दोपहर का भोजन मिलता था। इसी साल से पौष्टिक नाश्ता दिया जाएगा। इसके अलावा बच्चों को शारीरिक जांच के आधार पर सभी को हेल्थ कोर्ड भी मिलेगा। बच्चों को मोटी-मोटी किताबें नहीं पढ़नी पड़ेंगी। नई नीति में बच्चों को हर विषय के मूल सिद्धांत को आसान तरीकों से समझाया जाएगा। ऐसे में पूरा जोर लिखित परीक्षा की जगह प्रयोगात्मक परीक्षा पर होगा। पढ़ाई का फोकस और कांस्पेट्स, आइडिया, एप्लीकेशन, प्रैक्टिकल, प्राब्लम साल्विंग पर रहेगा। सरकार का मानना है कि दो से आठ साल तक बच्चा सबसे अधिक सीखता है। इसलिए इस उम्र में सीखने पर जोर दिया जाए। कस्तूरबा गांधी स्कूलों का विस्तार 12वीं कक्षा तक होगा। जिनकी इकलौती संतान बेटी हो और बेटियों को शिक्षा में बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं बनेंगी। स्कूलों में अपने विषय के साथ-साथ बहुविषयक जानकारियों को बढ़ावा दिया जाएगा। लाइफ स्किल पर अधिक फोकस होगा।
केंद्र सरकार ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 34 साल बाद हुए व्यापक परिवर्तन के तहत मेडिकल और विधि को छोड़ पूरी उच्च शिक्षा का एक नियामक होगा। साथ ही स्नातक तक पढ़ाई के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा होगी। पांचवीं तक पढ़ाई मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी। नर्सरी से स्नातक तक के पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचे को चार हिस्सों में बांटा गया है। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम फिर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। वहीं, नई नीति में शिक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया गया है। अब शिक्षा पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च होगा, जो अब तक 4.43 फीसदी था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया, पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन कमेटी द्वारा तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। नई नीति का मकसद समग्र शिक्षा को बढ़ावा देना है। यह मील का पत्थर साबित होगी। इसके तहत 2035 तक उच्च शिक्षा में पंजीकरण मौजूदा 26.3 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी। वहीं, स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए बोर्ड परीक्षा का आयोजन साल में एक बार की जगह सेमेस्टर या दो बार (वस्तुनिष्ठ और प्रश्नोत्तर श्रेणियों में विभाजित) हो सकता है। इसके लिए अलग नीति बनाई जाएगी।
मानव संसाधन मंत्रालय को 35 साल बाद फिर शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। शुरुआत में इसका नाम शिक्षा मंत्रालय था लेकिन 1985 में बदल दिया गया था। मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में बनी थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति का मुद्दा 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल था।
. नई नीति में पूरे पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचे को 5-3-3-4 के तहत चार हिस्सों में बांटा गया है। पहले पांच में नर्सरी, केजी और अपर-केजी होंगे। फाउंडेशन वर्ग का गठन होगा, जिसमें तीन साल बच्चे प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे और फिर पहली और दूसरी में पढ़ेंगे। पांच सालों के लिए एनसीईआरटी विशेष पाठ्यमक्रम बनाएगा। इसमें किताबी ज्ञान के साथ खेलकूद, मनोरंजन से सीखाना है, ताकि मानसिक और शारीरिक विकास सामान्य हो। एक्टिविटी आधारित लर्निंग पर फोकस होगा और 3 से 8 साल तक बच्चे कवर होंगे। रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा और आकलन तीन स्तर पर होगा। पहला छात्र, दूसरा सहपाठी और तीसरे शिक्षक। नेशनल असेसमेंट सेंटर परख सीखने की क्षमता का आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस आधारित सॉफ्टवेयर परीक्षण करेगा।

प्राथमिक
दूसरे वर्ग में तीसरी, चैथी व पांचवीं के छात्र शामिल होंगे। इसमें बच्चों को प्रयोगों के माध्यम से गणित, विज्ञान और कला आदि विषयों की पढ़ाई करवायी जाएगी। इसमें 8-11 आयु वर्ग के बच्चे शामिल होंगे।

माध्यमिक
इस वर्ग में छठीं, सातवीं और आठवीं कक्षा होगी और 11-14 आयु वर्ग के छात्रों को शामिल किया जाएगा। इसमें विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। छठवीं कक्षा से ही कौशल विकास कोर्स शुरू होंगे और अनिवार्य व्यावसायिक ट्रेनिंग व पढ़ाई होगी। इसमें दस दिन की लोकल क्राफ्ट की इंटर्नशिप करनी पड़ेगी। इसी कक्षा से छात्रों को कोडिंग सिखाई जाएगी। शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर होगा। इसमें ऑनलाइन शिक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार करना, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी आदि शामिल होंगी।

सेकेंडरी स्टेज
चैथे वर्ग में 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई होगी। इस दौरान बोर्ड की तैयारी पर फोकस होगा। छात्रों को विषयों चुनने की आजादी होगी। अपने विषय के साथ-साथ बहुविषयक जानकारियों को बढ़ावा दिया जाएगा। बोर्ड परीक्षा रट्टा की बजाय ज्ञान बढ़ाने पर आधारित हो, इसलिए पाठ्यक्रम कम किया जाएगा।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox