
मानसी शर्मा /- महाराष्ट्र सरकार ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए गाय को “राज्यमाता” का दर्जा देने का निर्णय लिया है। सरकार के अनुसार, देसी गाय का दूध मानव आहार के लिए अत्यधिक उपयुक्त है, और इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा, पंचगव्य उपचार विधियों, और जैविक खेती में भी किया जाता है। यह कदम भारतीय संस्कृति और गाय के महत्व को सम्मानित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
गाय का सांस्कृतिक महत्व
भारत में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, और हिंदू धर्म में इसकी पूजा की जाती है। गाय का दूध, मूत्र, और गोबर पवित्र माने जाते हैं, जिनका विभिन्न धार्मिक और औषधीय कार्यों में उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि गाय का दूध बच्चों के विकास के लिए अत्यंत लाभकारी है, जिससे उनकी शांत प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, यह विश्वास है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है, और प्राचीन भारतीय इतिहास में भगवान श्रीकृष्ण ने भी गायों की सेवा की थी।
सुरक्षा के मुद्दे और गोकशी की समस्या
गाय को राज्यमाता का दर्जा देने का निर्णय ऐसे समय में आया है जब देशभर में गोकशी और गोतस्करी की घटनाएं बढ़ रही हैं। राज्य सरकारें इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं, लेकिन अब तक प्रभावी कार्रवाई करने में सफल नहीं हो पाई हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में गोकशी के दो मामले सामने आए हैं। उन्नाव में गाय के हत्यारे महताब आलम को पुलिस ने गोली मारी है, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में सुरक्षा सख्त की जा रही है। मिर्जापुर में गोकशी की शिकायत पर भी बड़ी कार्रवाई हुई, जिसमें चौकी इंचार्ज सहित 10पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है, और SHO के खिलाफ जांच चल रही है।
महाराष्ट्र सरकार का यह निर्णय न केवल गाय के सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाता है, बल्कि समाज में सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है। यह कदम गाय की रक्षा के लिए नए प्रयासों को प्रेरित कर सकता है और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। इस पहल से गाय की स्थिति और सुरक्षा को लेकर सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
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