
स्वास्थ्य/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- भारत में कई बीमारियों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। बहुत से लोग मानसिक बीमारियों को असली बीमारी नहीं मानते और इसे हल्के में लेते हैं। भारत के गांवों में इस विषय पर चर्चा बहुत ही कम होती है और वहां के लोग शायद ही मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को समझते हों। हालांकि, शहरों में मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत शुरू हो गई है और लोग इसे गंभीरता से लेने लगे हैं। लेकिन, अभी भी हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के लिए पर्याप्त डॉक्टर और अस्पताल नहीं हैं। ऐसे में राज्यसभा में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जब सरकार का जवाब सामने आया, तो हर कोई चौंक गया।
सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 15 करोड़ लोग मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन मात्र 12-14 प्रतिशत लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। इसका मुख्य कारण संसाधनों और लोगों में जागरूकता की कमी है। इसके साथ ही सरकार के अनुसार, मानसिक बीमारी के इलाज के लिए सेवाओं में पहले से सुधार हुए हैं लेकिन संसाधन सीमित होने के कारण ये सभी लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। सरकारी आंकड़े के अनुसार, देशभर में मानसिक स्वास्थ्य के लिए सिर्फ 47 सरकारी अस्पताल हैं। इनमें से तीन मुख्य केंद्रीय अस्पताल भी शामिल हैं: राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान बेंगलुरु, लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान असम और केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान रांची। हालांकि, जितने अस्पताल हैं, उनमें भी डॉक्टर और मरीजों के अनुपात में भारी अंतर है। साथ ही उपकरणों की भी भारी कमी है। ऐसे में लोगों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता है और उन्हें काफी तकलीफ उठाना पड़ता है।
सरकार क्या कर रही है?
हालांकि, सरकार इस दिशा में काम करती दिखाई दे रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर खासा ध्यान दे रही है। इस कार्यक्रम के तहत सरकार 25 नए मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बना चुकी है। इसके साथ ही 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर 47 नए विभाग शुरू किए गए हैं, जिससे आने वाले समय में विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार किए जा सकें। 22 नए एम्स अस्पतालों में भी मानसिक बीमारी के इलाज की व्यवस्था की गई है। सरकार मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जिलों के तहत कार्यक्रम बना रही है। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत देशभर के 767 जिलों में परामर्श, दवाएं और इलाज किया जा रहा है।
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