सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण को मंजूरी

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728  
February 3, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण को मंजूरी

नई दिल्ली/अनीशा चौहान/ –   सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मुद्दे पर एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण (कोटा के भीतर कोटा) की वैधता पर अपना निर्णय दिया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए 5 जजों के फैसले को पलट दिया है।

 ईवी चिन्नैया मामला और 2004 का निर्णय

2004 में, सुप्रीम कोर्ट ने ईवी चिन्नैया मामले में फैसला सुनाया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच उपश्रेणियां नहीं बनाई जा सकतीं। इस फैसले में यह कहा गया था कि सभी अनुसूचित जाति और जनजाति को समान रूप से आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए और उनके बीच कोई उप-वर्गीकरण नहीं होना चाहिए।

2024 का नया फैसला

हालांकि, 2024 में सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने बहुमत से फैसला देते हुए कहा है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण कर सकती हैं। इस फैसले के अनुसार, राज्य सरकारें वे सभी श्रेणियां बना सकती हैं जिनमें ज्यादा आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि जो जातियां और जनजातियां अब तक अपेक्षाकृत पिछड़ी रही हैं, उन्हें आरक्षण का उचित लाभ मिल सके।

फैसले का प्रभाव

इस निर्णय का असर यह होगा कि राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति और जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण कर सकती हैं, जिससे सबसे पिछड़े वर्गों को भी विकास और अवसरों का लाभ मिल सकेगा। यह फैसला सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

यह निर्णय आरक्षण नीति में एक नया आयाम जोड़ता है और यह सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण का लाभ समाज के सबसे कमजोर और पिछड़े वर्गों तक पहुंचे।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox