पिछले 13 सालों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 1532 जवानों ने की आत्महत्याएं

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 19, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

पिछले 13 सालों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 1532 जवानों ने की आत्महत्याएं

-14 फरवरी चेन्नई तमिलनाडु में पुलवामा शहीदों का करेंगे सम्मान.

नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों में अक्सर आत्महत्याओं का दिल दहलाने वाला सिलसिला जारी। इन 13 सालों में जितने जवान शहीद हुए उनसे कहीं ज्यादा नफरी आत्मघाती कदम उठा कर जीवन लीला समाप्त करने वाले अभागे जवानों की। अभी हाल ही में 155 बटालियन बीएसएफ के हवलदार मांगी लाल ने अफसरशाही से तंग आकर जीवन लीला समाप्त कर ली आत्महत्या करने से पहले लिखा खत जांच पड़ताल जारी। बीते साल 12 अगस्त से 4 सितंबर के बीच 10 जवानों द्वारा आत्महत्याओं के मामले प्रकाश में आए। विभागीय इन्क्वायरी के नाम पर लीपापोती यह कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि जवान अपने घरेलू समस्याओं के कारण परेशान था।
        कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान जोकि संसद से सड़क से सरहदों तक चाक चौबंद चौकसी के अलावा अचानक आने वाली प्राकृतिक विपदाओं से आम जान माल की सुरक्षा, राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने पुलिस प्रशासन को विशेष सहयोग, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, महत्वपूर्ण औद्योगिक इकाइयों की सुरक्षा व समय समय पर होने वाली चुनावों में निष्पक्ष भुमिका अदा करने वाले पैरामिलिट्री फोर्सेस के जवानों का पुरा राष्ट्र ऋणी है। लेकिन पिछले 15-20 सालों से जवानों में आत्महत्याओं के मामले में वृध्दि होना देश वासियों के लिए शर्म की बात है। गाहे बगाहे शुट आउट की छुटपुट घटनाएं भी हुई इसके लिए कौन सी व्यवस्था जिम्मेदार है।  
         महासचिव के कहे अनुसार बॉडर आउट पोस्ट (बीओपी) नक्सल बहुल क्षेत्रों, उत्तर पूर्वी राज्यों, जम्मू कश्मीर व देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात जवानों के ड्युटी घंटों में वृध्दि, कम्पनी में जवानों की रिक्तियां, रात्री पहरेदारी में नींद का पूरी ना होना, समय पर छुट्टी का ना मिलना, घर परिवार बीवी बच्चों से सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर। गांव के दबंगों द्वारा जवान के बीवी बच्चों पर बुरी नजर साथ ही जमीन जायदाद पर जबरन कब्जा, कम्पनी कमांडर, डिप्टी कमांडेंट या अन्य कमान अधिकारियों द्वारा जवान की परेशानी सुनने के बजाय दुत्कार, गाली गलौज, शान के खिलाफ भद्दे शब्दों का इस्तेमाल, सिनियर कमान अधिकारियों जवानों की सालाना एसीआर को बिना वजह से खराब करने, जवान को अचानक बिमारी हालत में चिकित्सा का अभाव,15-20 सालों से एक ही रैंक में ड्यूटी यानी पद्दोउन्नति का नहीं होना, मनचाही पोस्टिंग का ना मिलना। जवानों व आफिसर्स के बीच आपसी तालमेल का नहीं होना। ड्यूटी की अधिकता घर परिवार से दूरी के कारण मनोरोगी व स्वभाव में चिड़चिड़ापन के लक्षण, बच्चों के लिए सही समय पर अच्छे स्कूलों में एडमिशन का ना होना, बुढे मां बाप के इलाज, बिना पैंशन व अन्य सुविधाओं के चलते भविष्य का अंधकारमय होना जैसे बहुत सारे कारण है।
          रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि पैरामिलिट्री सर्विसेज में मानसिक रोगियों का उछाल एक चिंता का सबब बन गया। एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में कुल मानसिक रोगियों की संख्या 4940 थी जिसमें अकेले सीआरपीएफ में 1882 व बीएसएफ में 1327 के आसपास अब सरकार बताए कि इन जवानों को किन परिस्थितियों ने मनोरोगी बनाया और विभाग द्वारा कितने मनोचिकित्सक इलाज वास्ते तैनात किए गए। देश में समय समय पर होने वाले बेमौसमी चुनावों के कारण जवानों यहां तक कि आफिसर्स की सालाना छुट्टियों का प्रोग्राम गड़बड़ा गया लगता है। बीते साल की आखिरी तिमाही में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के चलते साल के आखिरी मैं तय समय पर जवानों को छुट्टीयां लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा और इस साल फिर से संसदीय आम चुनाव के पहले ही छुट्टियों पर बंदिशे लग जाएंगी। याद रहे कि इलेक्शन कमीशन के मुताबिक हर पोलिंग बूथ पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की उपस्थिति अनिवार्य है। इन बेमौसमी चुनावों के चलते लाजिमी है कि जवानों की छुट्टियों का कलेंडर गड़बड़ा गया।
सन् 2019 में माननीय गृहमंत्री जी द्वारा सीआरपीएफ महानिदेशालय की नई बिल्डिंग का नींव पत्थर रखते वक्त जवानों को अपने परिवार संग रहने वास्ते 100 दिनों की छुट्टी का वायदा किया गया। जब महासचिव द्वारा आरटीआई के माध्यम से गृह मंत्रालय से जानकारी चाही कि फोर्सेस के कितने जवानों को सालाना 100 दिन की छुट्टियां दी गई बदले में जवाब देने से मना कर दिया गया। ताजुब की बात है कि सीआईएसएफ जवानों को मात्र 30 सालाना छुट्टी मिलती है जबकि अन्य सभी सुरक्षा व सेनाओं के तीनों अंगों में 60 दिन वार्षिक अवकाश दिया जाता है। सीआईएसएफ कर्मियों को 30 दिनों की छुट्टीयां भी अक्सर किस्तों में मिलती है। अक्सर कम छुट्टियों के चलते जवान आत्महत्या तक करने को मजबूर हो जाते हैं। क्यों ना सीआईएसएफ जवानों के बीच सर्वे कराया जाए कि जवान 60 दिन चाहते हैं अनकैश लीव। जैसे कि भारतीय सेना के कल्याण एवं पुनर्वास हेतु राज्यों में जिला स्तर सैनिक कल्याण बोर्ड स्थापित है क्यों नहीं पैरामिलिट्री जवानों व उनके परिवारों के लिए इस तरह के कल्याण बोर्डों का गठन किया जाए ताकि उपरोक्त बोर्डों के माध्यम से अपने दैनिक जीवन में होने वाली मुश्कलातों व सुविधाओं हेतु जवान गुहार लगा सके। सीपीसी कैंटीन में मिलने वाली घरेलू वस्तुएं के दाम सदर बाजार के बराबर है। जीएसटी टैक्स चलते 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों का घरेलू बजट गड़बड़ा गया है जब सरकार सीएसडी कैंटीन पर जीएसटी  छूट दे सकती है फिर सीपीसी कैंटीन पर क्यों नहीं जिसके लिए माननीय वित्त मंत्री साहिबा तक मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा जा चुका है। क्या केंद्रीय अर्धसैनिक बल बिना झंडे के हैं जिनके होने वाले विभिन्न सम्मान समारोह में माननीय केंद्रीय मंत्री जी सलामी लेते हैं। बार बार केंद्रीय गृह मंत्रालय से अर्द्धसैनिक झंडा दिवस कोष की स्थापना हेतु गुहार लगाई ताकि हमारे रिटायर्ड कर्मियों के बच्चों के बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण एवं पुनर्वास में उपरोक्त झंडा दिवस कोष के दान में मिली राशी उपयोगी साबित हो सके। देखने वाली बात कि उपरोक्त अर्ध सेना झंडा दिवस कोष के गठन हेतु किसी अतिरिक्त धनराशि की जरूरत ही नहीं बल्कि इच्छा शक्ति की जरूरत है। शिकवा शिकायतों की बड़ी लम्बी फेहरिस्त है। केंद्रीय व राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे सौतेले व्यवहार के खिलाफ 14 फरवरी 2024 को चेन्नई तमिलनाडु में साउथ इंडिया पैरामिलिट्री सेमिनार आयोजित कर पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जाएंगे। इस मौके पर शहीद हुए जवानों के परिवारों का मान सम्मान किया जाएगा।
          जहां तक आईपीएस अधिकारीयों द्वारा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की कमान का सम्बन्ध है तू चल मैं आया, कुछ दिन के लिए आए और चले गए लगता है कि जवानों की सुविधाओं से कोई खास लेना देना नहीं। जहां तक केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के केडर आफिसर्स की सुविधाओं, पोस्टिंग व प्रमोशन का सवाल है अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और जिसकी वजह आईपीएस लॉबी का अधिक ताकतवर होना।  
रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि कॉनफैडरेसन के अथक प्रयासों से निम्न श्रेणी में कार्यरत फॉलोवर्स रैंक नाई, धोबी, कुक, वाटर कैरियर, सफाई कर्मचारियों को पदोन्नति कर हवलदार बनाया गया लेकिन अभी भी शस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में फॉलोवर रैंक के कमेरे वर्ग को पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया ऐसे ही सीआरपीएफ की लिस्ट से कुक व वाटर कैरियर पदोन्नति लिस्ट में छूट गए साथ ही आईटीबीपी में कार्यरत सफाई कर्मचारियों का भी यही हाल है। उम्मीद कि निचले पायदान पर कार्यरत कमेरे वर्ग को नए साल में पदोन्नति मिले ताकि जवानों का मनोबल एवं कार्य क्षमता में इजाफा हो।
          पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह के कहे अनुसार माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 11 जनवरी 2023 को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले में पैरा मिलिट्री फोर्सेस को ऑर्मड फोर्सेस ऑफ द युनियन मानते हुए जवानों को पुरानी पैंशन बहाली वास्ते ऐतिहासिक जजमेंट दिया कि केंद्रीय सुरक्षा बलों को भी सेना की तर्ज पर पुरानी पैंशन बहाली की जाए लेकिन वाह री केंद्र सरकार इस ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चले गए। माननीय प्रधानमंत्री जी से उम्मीदें बरकरार कि माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक पैरामिलिट्री पुरानी पैंशन बहाली का बौन्नजा नए साल में घोषणा करें।
         पिछले 10 सालों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पैंशन, प्रमोशन, पोस्टिंग व अन्य सुविधाओं की कमी के चलते तकरीबन 1 लाख जवान जिसमें आफिसर वर्ग भी शामिल हैं फोर्स से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने या नौकरी से त्यागपत्र देकर घर चले गए जोकि एक भयावह स्थिति की और इशारा करता है। सरकारें भूल रही है कि जवान को फोर्स में भर्ती करने से लेकर एक साल ट्रेनिंग देने में हर जवान पर 10-15 लाख रुपए खर्च आता है। ऐसा लगता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कुंभकर्णी नींद सोया हुआ हो। कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन जो कि पैरामिलिट्री जवानों व उनके परिवारों की भलाई संबंधित मुद्दों को लेकर पिछले 8 सालों से लगातार सड़क पर शांति पुर्ण संघर्ष कर रहे हैं। माननीय गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री, माननीय रक्षा मंत्री, माननीय वित्त मंत्री, केंद्रीय गृह सचिव, फोर्सेस डीजी, वार्ब चेयरमैन यहां तक कि महामहिम राष्ट्रपति जी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपे गए लेकिन नतीजा जीरो रहा। माननीय प्रधानमंत्री जी को सैकड़ों मेमोरेंडम भेज कर प्रतिनिधि मंडल मुलाकात वास्ते समय मांगा गया। मिलने की आस बरकरार ताकि पैरामिलिट्री चौकीदारों के भलाई संबंधित मुद्दे माननीय प्रधानमंत्री जी के संज्ञान में ला समाधान हो सके।
हमारी कॉनफैडरेसन केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध करते हैं कि पिछले 15 सालों में जवानों द्वारा की गई आत्महत्याओं, आपसी शूट आउट के मामलों, जवानों द्वारा नौकरी से त्यागपत्र एवं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के कारणों एवं रोकथाम पर श्वेतपत्र जारी करें।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox