• DENTOTO
  • भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में तुरूप का इक्का साबित हो सकते है बालकनाथ

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 14, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में तुरूप का इक्का साबित हो सकते है बालकनाथ

    -बालकनाथ का राजस्थान का सीएम बनने से भाजपा को पांच राज्यों में अहीरों का मिल सकता है साथ

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- राजस्थान में सीएम बनाने को लेकर भाजपा आलाकमान भले ही फूंक-फूंककर कदम रख रहा है लेकिन किसी भी अन्य सीएम प्रत्याशी के मुकाबले बालकनाथ राजस्थान के सीएम नियुक्त होने पर भाजपा के लिए आने वाले लोकसभा चुनाव में तुरूप का इक्का साबित हो सकते हैं। हालांकि बालकनाथ ने खुद को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की दौड़ से अलग कर लिया है लेकिन यह भाजपा के लिए फायदे का सौदा नही है।

    बता दें कि बालकनाथ अहीर जाति से संबंध रखते है और यूपी में भाजपा का अहीरों के साथ छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में अगर भाजपा देश में एक अहीर सीएम पर दांव खेलती है तो यूपी, राजस्थान, हरियाणा, बिहार व मध्यप्रदेश में भाजपा को लोकसभा चुनावों में बड़ा फायदा हो सकता है। वैसे भी बाबा बालकनाथ की छवि एक साफ व ईमानदार कार्यकर्ता व नेता की रही है। हरियाणा व राजस्थान में उन्हे योगी आदित्यनाथ की तरह ही माना जाता है। हालांकि यह जरूर है कि उन्हे उन नेताओं के मुकाबले भले ही राजनीतिक अनुभव कम हो लेकिन सत्ता और राज बड़ों के अनुभव के साथ भी किया जा सकता है। वैसे भी बड़े फैसलों में आलाकमान की स्वीकृति भी जरूरी होती है तो फिर यह कहकर उनसे राजस्थान की सीएम कुर्सी से दूर नही किया जा सकता कि उनमें अनुभव की कमी है। और अगर ऐसा होता तो राजस्थान में भाजपा किसी भी अनुभवी नेता की अगुवाई में विधानसभा चुनाव लड़ सकती थी।

    हालांकि राजस्थान के योगी कहे जाने वाले बाबा बालकनाथ ने मुख्यमंत्री बनने की खबरों को खारिज कर दिया है और ऐसा माना जा रहा है कि अब उनसे सीएम की कुर्सी दूर जाती दिख रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में आगे चल रहे बाबा बालकनाथ ने खुद से इससे बाहर कर लिया है। शनिवार को उन्होंने बयान देते हुए कहा- भाजपा और पीएम मोदी के नेतृत्व में जनता ने पहली बार सांसद और विधायक बनाकर देश की सेवा करने का अवसर दिया है। मीडिया और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नजर अंदाज करें। मुझे अभी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है।
             बता दें कि बाबा बालकनाथ विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे। पार्टी के आंतरिक सर्वे में भी उनकी दोवदारी बहुत मजबूत बताई गई थी। चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद उनकी दावेदारी और मजबूत हो गई। क्योंकि बाबा बालकनाथ की सीट एक बहुल मुस्लिम सीट थी जिस पर जीत दर्ज करना ही अपने आप में एक रिकार्ड है। जिससे पता चलता है कि बाबा बालकनाथ हिन्दूओं के साथ-साथ मुस्लिमों के भी चहेते नेता हैं। तीन दिसंबर के बाद से वे अमित शाह और जेपी नड्डा से भी लगातार मुलाकात कर रहे थे। ऐसे में उनके मुख्यमंत्री बनने की चर्चाओं ने और जोर पकड़ा, लेकिन अब बाबा बालकनाथ ने बयान देकर इन बातों को खारिज कर दिया। आइए, जानते हैं बाबा के सीएम नहीं बनने के तीन कारण?

    पहलाः बाबा बालकनाथ ओबीसी वर्ग से आते हैं। राजस्थान के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में सीएम पद के सबसे मजबूत दावेदार प्रहलाद सिंह पटेल और वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान को माना जा रहा है। ये दोनों ही ओबीसी वर्ग से आते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा दो पड़ोसी राज्यों में एक ही समाज का मुख्यमंत्री नहीं देना चाहेगी।  

    दूसराः बाबा बालकनाथ के राजनीतिक जीवन में अनुभव की कमी है। ये बात आज उन्होंने अपने बयान में भी स्वीकर की। बाबा बालकनाथ अब तक सिर्फ एक बार सांसद बने थे और विधायक हैं। इस हिसाब से देखें तो बाबा का राजनीतिक अनुभव सिर्फ पांच साल का है। अनुभव की कमी के कारण भी बाबा से सीएम की कुर्सी दूर चली गई।

    तीसराः राजस्थान के एक और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पहले से ही योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में अगर भाजपा राजस्थान में बाबा बालकनाथ को सीएम बनाती तो दो राज्यों के मुख्यमंत्री योगी होते। भाजपा हिंदुत्व की बात करती है, लेकिन दूसरी तरह सभी समाजों को साथ लेकर चलने और उनके विकास का दावा करती है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अगर, भाजपा बालकनाथ को सीएम बनाती तो पार्टी पर योगी राज को आगे बढ़ाने और कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने का ठप्पा लग सकता था। अब अगर इन तीनो कारणों को एक तरफ रख कर जातिगत समीकरण के हिसाब से सोचा जाये तो बाबा बालकनाथ हर तरह से भाजपा के लिए फायदे का सौदा है।

    पहले कारण में ओबीसी की बात कही गई है तो देश में ओबीसी वर्ग ही सबसे बड़ा वर्ग है और बड़ा होने के कारण इसका हक भी ज्यादा बनता है। वहीं बाबा बालकनाथ सभी वर्गों में समान रूप से विख्यात है जिसका उदाहरण तिजारा सीट पर चुनाव नतीजों ने दे ही दिया है। वहीं दूसरे कारण में अनुभव की कमी को लिया गया है तो बता दूं कि मां के पेट से कोई सीख कर नही आता। पीएम नरेन्द्र मोदी भी एक दिन गुजरात के सीएम बने थे। अनुभव व कार्य करने से ही आते हैं और जब सिर पर भाजपा आलाकमान व उन्ही से पूछकर सारे फैसलें होने है तो यह आधार भी खत्म हो जाता है। रही बात तीसरे कारण की तो पहले देश में ऋषियों-मुनियों की अगुवाई व मार्गदर्शन में ही राजा शासन चलाते थे। अब चाहे हर राज्य का मुख्यमंत्री बाबा हो तो इससे देश की राजनीति में क्या फर्क पड़ेगा उल्टा भाजपा का एक हिन्दू राष्ट्र का सपना आसानी से पूरा होने की संभावना बढ़ जाऐगी।
              लोकतन्त्र में सबसे बड़ा समीकरण वोटों का होता है और बाबा बालकनाथ से एक साथ पांच राज्यों की एक अच्छी खासी आबादी को साधा जा सकता है तो भला भाजपा इस मौके को कैसे हाथ से जाने दे सकती है। अब सोचना भाजपा आलाकमान को है कि वो अगर राजस्थान में युवा पीढ़ी पर दांव खेलना चाहती है तो यह सही फैसला हो सकता है।  

    बाबा के बयान पर एक चर्चा ये भी
    बाबा बालकनाथ ने मुख्यमंत्री की रेस से खुद को बाहर कर लिया, लेकिन उनके बयान को राजनीतिक स्टंट से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद से बालकनाथ मुख्यमंत्री बनने को लेकर चर्चा में बने हुए थे। ऐसे में यह बयान देकर उन्होंने खुद को लेकर हो रहीं चर्चाओं को रोकने का प्रयास किया है। बता दें कि सोमवार को यह साफ हो सकता है कि राजस्थान का नया मुख्यमंत्री कौन होगा?  

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox