नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- आज महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती और आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अध्यात्म योग संस्थान व आई.क्यू.ए.सी, भारती महाविद्यालय दिल्ली विश्वविद्यालय के सयुक्त तत्त्वावधान मे आयोजित “दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग महासम्मेलन” का आयोजन भारती महाविद्यालय जनकपुरी के सेमिनार हॉल में सम्पन्न हुआ जिसका विषय – “संस्कृत साहित्य में निहित योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का स्वरूप एवं महत्व” रहा यह कार्यक्रम प्रो. सलोनी गुप्ता, प्रधानचर्या, भारती कॉलेज, जनकपुरी नई दिल्ली के सानिध्य मे सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के समापन्न अवसर पर मुख्य वक्त्ता के रूप मे प्रो. धर्मेद्र शास्त्री ने अपने वक्तव्य मे कहा की योग, आयुर्वेद और प्रकृतिक चिकित्सा को जीवन में अपनाने से हम रोग मुक्त हो सकते है योग हमारे शारीरिक और मानसिक रोगों को ठीक करता है। मानसिक विकारों का एक मात्र समाधान है योगाभ्यास। यह देश योगियों का देश है फिर भी करोड़ों लोग बीमार है क्युकी हम योगाभ्यास नहीं करते, अतः आप सभी को नियमित योगाभ्यास करना चाहिए। जिससे मनुष्य हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रह सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. आनंद कुमार पुर्व आईपीएस, स्पेशल डायरेक्टर गृह मंत्रालय ने अपने सम्बोधन मे अष्टांग योग के यम-नियम की व्याख्या करते हुए कहा की हमे चरित्रवान बन कर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, हमे राग-द्वेष, ईर्षा आदि से हमेश दूर रहना चाहिए जिससे हमारा मन हमेशा शांत रहेगा। भाई-चारे, आपसी प्रेम, से मिल जुलकर रहना चाहिए। योग ज्ञान हमारे जीवन के त्रिदुःख को दूर करने की अचूक विद्या है। योग को हमे अपने जीवन मे अपनाना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप मे डॉ. देवेश प्रकाश, सचिव-विश्व वेद परिषद ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना है की महर्षि दयानंद के गुणों,कार्यों और शिक्षाओं को जन-जन तक पहुचाए। उन्होंने कहा की हमने वेदों के पाठन-पठन को छोड़ दिया जिसके कारण हमारा जीवन दुःखमय हो गया। इस लिए हमे हमेश योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का जीवन में उपयोग करना चाहिए ।
इस कार्यक्रम मे मुख्य रूप से डॉ. सोमवीर सिंघल, सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. मोहिनी आर्या, सहाचार्या,संस्कृत विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. शैलेन्द्र, संस्कृत विभाग, भारती कॉलेज, जनकपुरी, नई दिल्ली, डॉ. कंवर सिंह, सहाचार्य एवं विभागाध्यक्ष श्री वेंकटेश्वर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय ,डॉ. नीलम गौड, आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. रमेश कुमार, योग विज्ञान विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, प्रो. शशि तिवारी, मैत्रेयी, महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. कामना विमल, संस्कृत विभाग, दौलत राम महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. राज मंगल यादव, संस्कृत विभाग, रामजस महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. देवेश प्रकाश, महामंत्री विश्ववेद परिषद दिल्ली, आदि विद्वानों ने अपने शोध पत्र एवं विचार प्रस्तुत किए। दो दिन की संगोष्टी मे 40 शोधार्थियों और देश के 10 राज्यों के 15 विश्वविद्यालयों से आए 32 शिक्षकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की सयोंजिका एवं विभागाध्यक्षा डॉ. आशा तिवारी ने आए हुए सभी शिक्षकों, शोध छात्रों, व अन्य छात्रों का, कर्मचारियों का और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
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