चंडीगढ़ में बिना पंजीकरण के बिक रहे अपार्टमेंट, हाईकोर्ट ने विज्ञापनों पर लगाई फटकार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

चंडीगढ़ में बिना पंजीकरण के बिक रहे अपार्टमेंट, हाईकोर्ट ने विज्ञापनों पर लगाई फटकार

-हाईकोर्ट की फटकार के बाद जागा प्रशासन, बोला अपार्टमेंट का पंजीकरण ही नही

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चंडीगढ़ में सेक्टर 1 से 10 की बड़ी-बड़ी कोठियों को मंजिल के आधार पर अपार्टमेंट बनाकर बेचने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा, अखबार अपार्टमेंट के विज्ञापनों से भरे हुए हैं और प्रशासन कहता है कि अपार्टमेंट का पंजीकरण नहीं हो रहा। हाईकोर्ट ने अब 2016 से दिसंबर 2019 के बीच हिस्से के आधार पर बिकी इमारतों का सर्वे कर दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
                      मंगलवार को हाईकोर्ट को बताया गया कि शहर में अपार्टमेंट रूल 2001 में बनाए गए थे और इसके साथ ही इनका विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद प्रशासन ने 2007 में रूल समाप्त कर दिया था। याची ने बताया कि इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी इमारत को मंजिल के आधार पर अपार्टमेंट के रूप में बेच दिया।
                      इस पर हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से पूछा, क्या उनकी ओर से ऐसी कोई वेरिफिकेशन की गई कि अपार्टमेंट बने हैं या नहीं। इसका जवाब न के रूप में मिला। हाईकोर्ट ने कहा कि एक तरफ तो प्रशासन कह रहा है कि शहर में फ्लोर वाइज और अपार्टमेंट का कोई प्रावधान ही नहीं है, लेकिन दूसरी ओर लगातार समाचार पत्रों में फ्लोर वाइज और अपार्टमेंट के तौर पर खरीद के विज्ञापन छप रहे हैं। हाईकोर्ट ने अब प्रशासन को आदेश दिया है कि सबसे पहले एस्टेट ऑफिस के रिकॉर्ड को देखा जाए कि 50, 30 या 20 प्रतिशत हिस्सा बेचने के कितने मामले हैं और वेरिफकेशन हो कि कहीं इन्हें अपार्टमेंट के रूप में तो नहीं बेचा गया।
                         हाईकोर्ट ने कहा कि सभी मामलों में वेरिफिकेशन हुई तो इसमें बहुत अधिक समय लगेगा इसलिए सैंपल लेकर यह वेरिफिकेशन की प्रक्रिया चीफ आर्किटेक्ट की निगरानी में पूरी की जाए। इस कवायद में अगर पुलिस और एनफोर्समेंट एजेंसी की जरूरत हो तो उनकी सेवाएं ली जाएं। इससे हाईकोर्ट के समक्ष तस्वीर साफ होगी कि शहर में ऐसा किया जा रहा है या नहीं। इस पर गौर करने के बाद ही हाईकोर्ट इस मामले में निर्णय ले सकता है।
                        सेक्टर-10 की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने जनहित याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट को बताया है कि शहर के मास्टर प्लान के खिलाफ जाकर एक ही घर को मंजिल के अनुसार अपार्टमेंट बनाकर बेचा जा रहा है। यह शहर के लिए खतरनाक है और इससे शहर का मूलभूत ढांचा बर्बाद हो जाएगा। अगर अपार्टमेंट को मंजूरी दी गई तो जनसंख्या का घनत्व काफी बढ़ जाएगा। ऐसे में इन जगहों पर अधिक वाहन और उनके लिए पार्किंग की जगह की समस्या शुरू हो जाएगी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox