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    बार्क ने टीआरपी पर लगाई 12 सप्ताह की रोक, एनबीए ने किया स्वागत

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- टीआरपी के जरिए यह मापा जाता है कि एक तय समय के अंतराल में कितने दर्शक किसी विशेष टीवी शो या चैनल को देख रहे हैं। टीआरपी हमें लोगों की पसंद बताता है। लेकिन यही पंसद न्यूज चैनलों के लिए व्यापार बन जाती है। जिसे देखते हुए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने कथित रूप से फर्जी टीआरपी घोटाले के बाद गुरुवार को न्यूज चैनलों की रेटिंग को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि काउंसिल सांख्यिकीय मजबूती में सुधार के लिए माप के वर्तमान मानकों की समीक्षा करने और उन्हें बेहतर बनाने का इरादा रखती है, और इस कवायद के चलते साप्ताहिक रेटिंग 12 सप्ताह तक स्थगित रहेगी। न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) ने बार्क के इस फैसले का स्वागत किया है। एनबीए ने कहा कि इससे न्यूज चैनलो की टीआरपी को लेकर धांधली खत्म होने में मदद मिलेगी।
    इस संबंध में बार्क के चेयरमैन पुनीत गोयनका ने कहा कि उद्योग और काउंसिल के लिए अपने कड़े प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और इन्हें आगे और मजबूत बनाने के लिए कुछ दिन के लिए निलंबन जरूरी है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर बार्क बोर्ड ने प्रस्ताव दिया है कि माप के मौजूदा मानकों और डाटा जमा करने के तरीकों को बेहतर बनाने की जरूरत है। इसके साथ ही काउंसिल ने कहा कि मॉनिटरिंग वाले घरों में किसी तरह की घुसपैठ के प्रयासों को नाकाम करने के लिए ये कवायद की जा रही है। इस कवायद में हिंदी, अंग्रेजी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं के सामान्य समाचार चैनल और कारोबारी समाचार चैनल शामिल हैं। बयान में कहा गया, इस कवायद के दौरान सभी समाचार चैनलों के लिए बार्क की साप्ताहिक व्यक्तिगत रेटिंग का प्रकाशन बंद रहेगा। बार्क ने कहा कि यह कवायद आठ से 12 सप्ताह तक चलेगी और इसमें सत्यापन तथा परीक्षण शामिल है।
    इससे पहले मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी घोटाले में कम से कम पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। मुंबई पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में घोटाले का भंडाफोड़ किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में समाचार चैनलों के कर्मचारी भी शामिल हैं, जबकि पुलिस इस संबंध में अर्नब गोस्वामी के नेतृत्व वाले रिपब्लिक टीवी के अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है। रिपब्लिक टीवी ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। बार्क द्वारा दिए जाने वाले दर्शकों के अनुमानों से विज्ञापन का खर्च प्रभावित होता है। मुंबई पुलिस का आरोप है कि जिन घरों में मॉनिटर लगाए गए थे, उन्हें प्रभावित करके रेटिंग में हेराफेरी की जा रही थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक मीडिया को हाईकोर्ट जाने का दिया निर्देश
    वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रिपब्लिक मीडिया ग्रुप को मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) घोटाला मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने को कहा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और इंदिरा बनर्जी की एक पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट पूरी कोरोना महामारी में काम कर रहा है और मीडिया समूह को उससे संपर्क करना चाहिए क्योंकि उसका कार्यालय वर्ली में स्थित है।
    मीडिया हाउस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने घोटाले की जांच के बारे में आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि वहां एक प्रवृत्ति है कि कमिश्नर द्वारा लगातार साक्षात्कार दिया जा रहा है। बता दें कि मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में एक मामला दर्ज किया है और रिपब्लिक टीवी के मुख्य वित्तीय अधिकारी एस सुंदरम को जांच के लिए बुलाया है।

    क्या होती है टीवी चैनल की टीआरपी?
    टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट यानी टीआरपी एक ऐसा उपकरण है जिसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कौन सा प्रोग्राम या टीवी चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। साथ ही इसके कारण किसी भी प्रोग्राम या चैनल की पॉपुलैरिटी को समझने में मदद मिलती है, यानी कि लोग किसी चैनल या प्रोग्राम को कितनी बार और कितने समय के लिए देख रहे हैं। प्रोग्राम की टीआरपी सबसे ज्यादा होना मतलब सबसे ज्यादा दर्शक उस प्रोग्राम को देख रहे हैं।

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