हंगामे के बाद फिर टला दिल्ली मेयर चुनाव, सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

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हंगामे के बाद फिर टला दिल्ली मेयर चुनाव, सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

-एमसीडी हेडक्वार्टकर में आप-भाजपा सदस्यों की नारेबाजी; मेज पर चढ़े, बोतलें फेंकी

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- एक बार फिर भाजपा-आप पार्षदों के हंगामें के बीच दिल्ली के मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनावों की प्रक्रिया मंगलवार को स्थगित कर दी गई। एमसीडी के सिविक सेंटर में वोटिंग शुरू होते ही हेडक्वार्टर में भारी हंगामा शुरु हो गया। आप-भाजपा सदस्यों ने नारेबाजी की; बैरिकेड्स पर चढ़ गए और एक दूसरे पर बोतलें फेंकी। हंगामे के कारण सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
                इसके पहले एमसीडी में 10 मनोनीत सदस्यों को शपथ दिलाई गई। इस दौरान भी आप नेताओं ने नारेबाजी की। भाजपा नेताओं ने भी जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे लगाए। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि बहुत दुख का विषय है कि वोट डालने के लिए सभी बैठे थे लेकिन फिर हंगामा हो गया। ऐसा नहीं होना चाहिए, लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए।

                आप ने महापौर पद के लिए शैली ओबेरॉय और भाजपा ने रेखा गुप्ता को मैदान में उतारा है। ऐसे में राजधानी को एक महिला मेयर मिलना तय है। भाजपा सांसद हंसराज हंस ने दावा किया कि मेयर भाजपा का ही होगा। एमसीडी चुनाव के बाद सदन की पहली बैठक 6 जनवरी को हुई थी, लेकिन हंगामे के कारण मेयर का चुनाव नहीं हो पाया था।
               आप नेता मुकेश गोयल ने कहा कि संवैधानिक तरीका यह है कि पहले चुनाव जीतकर आए पार्षदों को शपथ दिलाई जाए, बाद में मनोनीत पार्षदों को। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा नेता शिखा राय ने कहा कि सदन की कार्यवाही जहां छोड़ी गई थी, वहीं से शुरू होगी। सदन में सबसे पहले मनोनीत पार्षद विनोद फिर लक्ष्मण ने शपथ ली। इसके बाद मुकेश मान, सुनील चौहान, राजकुमार भाटिया, संजय त्यागी को शपथ दिलाई गई। मनोज कुमार जैन, रोहताश कुमार, श्वेता कमल खत्री के बाद वार्ड संख्या एक से चुनाव जीतकर आए पार्षदों का शपथ ग्रहण शुरू हुआ।


               आप नेता सौरव भारद्वाज ने कहा, ’भाजपा आज नगर निगम में कब्जा करने के लिए लाठी डंडों के साथ फोर्स लाई है। क्या किसी सदन में ये देखा है ? क्या भाजपा डरा-धमकाकर जबरदस्ती एमसीडी पर कब्जा करना चाहती है।’ वहीं, संजय सिंह ने कहा कि डब्क् में ठश्रच् का ’डंडा लोकतंत्र’ चलने नही देंगे।

मेयर पद के लिए पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित
दिल्ली में मेयर पद के चुनाव रोटेशन के आधार पर 5 सिंगल ईयर की शर्तों पर होते हैं। पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित होता है। दूसरा ओपन कैटेगरी के लिए, तीसरा साल आरक्षित वर्ग के लिए और बचे हुए दो साल फिर से ओपन कैटेगरी के लिए आरक्षित होते हैं। इस तरह दिल्ली को इस साल एक महिला मेयर मिलेगी।

आप के पास है बहुमत
डिप्टी मेयर के लिए आप के उम्मीदवार आले मोहम्मद इकबाल और भाजपा के उम्मीदवार कमल बागड़ी हैं। आले मोहम्मद मटिया महल से विधायक शोएब इकबाल के बेटे हैं। मेयर के चुनाव में 273 मेंबर्स वोट डालेंगे। बहुमत के लिए 133 का आंकड़ा चाहिए। ।।च् के पास 134 पार्षद हैं। इसके अलावा 3 राज्यसभा सांसद भी हैं। इस चुनाव में 250 पार्षदों के साथ 10 सांसद (7 लोकसभा सांसद और 3 राज्यसभा सांसद), 13 विधानसभा सदस्य वोट डालेंगे।

एमसीडी का इतिहास
एमसीडी अप्रैल, 1958 में अस्तित्व में आया था। इसने पुरानी दिल्ली में 1860 के दशक के ऐतिहासिक टाउन हॉल से अपनी यात्रा शुरू की थी और अप्रैल, 2010 में इसे सिविक सेंटर परिसर में ट्रांसफर कर दिया गया था। 1958 में फ्रीडम फाइटर अरुणा आसफ अली को मेयर चुना गया था। अली की फोटो अभी भी टाउन हॉल में पुराने नगरपालिका भवन के कमरों और सिविक सेंटर के कार्यालयों में लगी हुई हैं। शहर की एक प्रमुख सड़क का नाम भी उनके नाम पर रखा गया था।

2012 में बंटी एमसीडी
लॉ स्कॉलर रजनी अब्बी 2011 में एमसीडी के तीन भागों में बंटने से पहले मेयर थीं। 2012 में निगम को तीन अलग-अलग नागरिक निकायों – उत्तर (104 वार्ड) , दक्षिण (104 वार्ड) और पूर्वी (64 वार्ड) नगर निगमों में बांट दिया गया। इनमें से हर एक का अपना मेयर था। बीते साल तीनों का एकीकरण हुआ, जब केंद्र ने उन्हें एकजुट करने के लिए एक कानून लाया था। इसने वार्डों की कुल संख्या को 272 से घटाकर 250 कर दिया।

एमसीडी चुनाव में चली झाड़ू
एकीकरण के बाद, निकाय चुनाव 4 दिसंबर को हुए और वोटों की गिनती 7 दिसंबर को हुई। आम आदमी पार्टी (।।च्) ने 134 वार्ड जीतकर चुनाव जीता और 15 साल से डब्क् में शासन कर रही भाजपा को हरा दिया। इस चुनाव में भाजपा को 104 वार्डों में जीतकर मिलीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ नौ सीटों पर जीत हासिल कर सकी।
                    उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर और भाजपा के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है कि अब फिर से पूरे शहर के लिए एक मेयर होगा। उन्होंने कहा कि अरुणा आसफ अली दिल्ली की पहली मेयर थीं, और रजनी अब्बी 2012 में एमसीडी के तीन हिस्सों में बंटने तक आखिरी मेयर थीं और 10 साल बाद फिर से कोई महिला मेयर होंगी, यह शहर के लिए सौभाग्य की बात है।

2011 में भाजपा की रजनी अब्बी जीती थीं चुनाव
अप्रैल 2011 में, तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार रजनी अब्बी कांग्रेस की सविता शर्मा को 88 मतों से हराकर दिल्ली की मेयर चुनी गईं थीं। अब्बी तब दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून की प्रोफेसर थीं और वर्तमान में विश्वविद्यालय के डीन के रूप में कार्यरत हैं।

2012 में मेयर के चुनाव
तीन हिस्सों में बंटने के बाद 2012 में तीनों निगमों – छक्डब्, ैक्डब् और म्क्डब् के लिए महापौर के चुनाव हुए। अप्रैल 2012 में, भाजपा की मीरा अग्रवाल को डक्डब् के मेयर के रूप में निर्विरोध चुना गया था, जबकि उनकी पार्टी के सहयोगी आजाद सिंह डिप्टी मेयर बने थे। मई 2012 में, अन्नपूर्णा मिश्रा सर्वसम्मति से पूर्वी दिल्ली की मेयर बनी, जबकि उनकी पार्टी की सहयोगी उषा शास्त्री को डिप्टी मेयर बनाया गया। भाजपा की सविता गुप्ता को दक्षिण दिल्ली के पहले मेयर के रूप में चुना गया था, जबकि ठैच् के बीर सिंह डिप्टी मेयर बने थे।

दिल्ली में मेयर चुनाव के पहले हंगामा, आप और भाजपा पार्षदों के बीच धक्का-मुक्की
6 जनवरी को दिल्ली में डब्क् के मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया हंगामे की वजह से स्थगित कर दी गई। शपथ ग्रहण शुरू होने से पहले आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने विरोध शुरू कर दिया। इससे बीजेपी पार्षद भी इनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे। दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई होने लगी। आप के पार्षद प्रोटेम स्पीकर के आसन पर चढ़ गए।

15 साल बाद एमसीडी से भाजपा आउट, केजरीवाल बोले- मोदी के आशीर्वाद से विकास करेंगे
दिल्ली नगर निगम में पिछले 15 साल से काबिज भाजपा का पत्ता साफ हो गया। आम आदमी पार्टी ने यहां बहुमत से जीत दर्ज की। स्टेट इलेक्शन कमीशन के मुताबिक 250 सीटों वाले एमसीडी में आप को 134 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 8 ज्यादा हैं। वहीं भाजपा के 104 और कांग्रेस के 9 उम्मीदवार जीते हैं। 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत हुई।

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