सुप्रीमकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को ठहराया सही

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 9, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

सुप्रीमकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को ठहराया सही

-प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को सही ठहराते हुए परिसीमन की प्रक्रिया की चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
                 बता दें कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 समाप्त किए जाने के बाद राज्य के विधानसभा सीटों के सीमांकन के लिए परिसीमन किया गया था। राज्य परिसीमन आयोग ने काफी परिश्रम के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में जम्मू संभाग में विधानसभा सीट बढाने की बात कही गई थी। जिसका कश्मीर की कई राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रही थी। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां आज जम्मू कश्मीर के परिसीमन को सही ठहराया गया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के विधानसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया की चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई में अदालत ने परिसीमन की प्रक्रिया को सही ठहराया। और उसे चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय होने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन का मसला उसके पास लंबित है। इस सुनवाई में उसने इस पहलू पर विचार नहीं किया है।

परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किए जाने का आरोप
गौरतलब हो कि श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने परिसीमन की प्रक्रिया की चुनौती देने हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इन लोगों ने अपनी याचिका में कहा था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था।

एक दिसंबर 2022 को कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
पिछले साल 13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नोटिस जारी किया था। तब भी कोर्ट ने साफ किया था कि सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर विचार नहीं किया जाएगा। फिर 1 दिसंबर 2022 को जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।

याचिकाकर्ताओं ने दी थी ये दलीलें
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष ने दलील दी थी कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में आयोग का गठन संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से सही नहीं है। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है। उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है। सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं। यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक नहीं है।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल ने दी दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 2, 3 और 4 के तहत संसद को देश में नए राज्य या प्रशासनिक इकाई के गठन और उसकी व्यवस्था से जुड़े कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। इसी के तहत पहले भी परिसीमन आयोग का गठन किया जाता रहा है। याचिकाकर्ता का यह कहना भी गलत है कि परिसीमन सिर्फ जम्मू कश्मीर में ही लागू किया गया है। इसे असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड के लिए भी शुरू किया गया है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox