
नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों को लिए 26 सितंबर 2006 को सेंट्रल पुलिस कैंटीन (सीपीसी) की स्थापना की गई ताकि जवानों को बाजार भाव से सस्ता घरेलू सामान मुहैया कराया जा सके। सीपीसी कैंटीन के अस्तित्व में आने से पहले सुरक्षा बलों की युनिट द्वारा सेना की सीएसडी कैंटीन से घरेलू उपयोग वास्ते सामान खरीदा जाता था।
कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि जीएसटी के चलते केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 20 लाख जवानों व उनके परिवारों का घरेलू बजट गड़बड़ा गया है। देश भर के विभिन्न राज्यों तकरीबन 119 मास्टर कैंटीन व 1778 के उपर सीपीसी कैंटीन जवानों को घरेलू व जरूरती वस्तुएं उपलब्ध कराता है। अगर हम सीपीसी कैंटीन में मिलने वाली वस्तुओं को थोक भाव से सदर बाजार से खरीदारी करते हैं तो शायद दरों में कोई खास फर्क नहीं रह जाता। ज्ञातव्य रहे कि सीपीसी कैंटीन का नाम बदलकर केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार कर दिया गया है। साथ ही माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 12 मई 2020 की गई महत्वपूर्ण घोषणा ’वोकल पर लोकल’ का सीधा असर सीपीसी कैंटीन पर देखने को मिला जब केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा जारी आदेश पर 1 जून 2020 से केंद्रीय पुलिस कल्याण भण्डार कैंटीनों में स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर दिया गया जिसमें बाबा रामदेव की कम्पनी के ब्रांड भी शामिल थे। जिसका सीधा असर मशहूर ब्रांडेड वाली हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले आदि कम्पनी पर पड़ा।
महासचिव रणबीर सिंह के अनुसार जीएसटी के स्वामित्व में आने से पहले बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मणीपुर, मेघालय, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, तमिलनाडु, उड़ीसा, केरला आदि राज्यों द्वारा सीपीसी कैंटीन में मिलने वाली वस्तुओं पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) छूट दी गई थी हालांकि जीएसटी के लागू होने पर रिलिफ के तौर पर बजटरी सपोर्ट की बात कही गई थी। जीएसटी टैक्स के चलते ना केवल 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों का घरेलू बजट गड़बड़ा गया बल्कि एसपीजी, एनएसजी के साथ राज्यों के लाखों सिविल पुलिस परिवार भी प्रभावित हुए हैं।
ज्ञातव्य रहे कि महासचिव रणबीर सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल द्वारा 14 नवंबर 2019 को माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में मुलाकात कर सीपीसी कैंटीन पर 50 प्रतिशत जीएसटी छूट हेतु ज्ञापन सौंपा गया था। इसके पहले उस समय के केंद्रीय गृह मंत्री माननीय राजनाथ सिंह द्वारा 29 जून 2017 को तब के केंद्रीय वित्त मंत्री मरहूम श्री अरूण जेटली जी को सेना सीएसडी कैंटीन की तर्ज पर 50 पर्सेंट जीएसटी छूट देने हेतु पत्र लिखा गया लेकिन आज तक इस तरहां की कोई छूट नहीं दी गई। जिसके कारण लाखों पैरामिलिट्री परिवारों में रोष व्याप्त है।
पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह ने उम्मीद जताई कि आने वाले 1 फरवरी बजट सत्र के दौरान माननीय वित्त मंत्री जी केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार के अंतर्गत आने वाली सीपीसी कैंटीनों पर 50 पर्सेंट जीएसटी छूट का तौहफा सरहदी चौकीदारों को देंगे जो देश की लम्बी सरहदों से संसद तक की चाक चौबंद सुरक्षा कर रहे हैं जो हर राज्यों की कानून व्यवस्था बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। देश के हवाई अड्डे, बंदरगाहों परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, महत्वपूर्ण औद्योगिक इकाइयों की सुरक्षा, बाढ भुकंप जैसे अचानक आने वाली प्राकृतिक विपदाओं से आम जान माल की सुरक्षा हो या बेमौसमी चुनावों में बलों द्वारा निभाई गई निष्पक्ष भुमिका को नकारा नहीं जा सकता। यहां तक कि भगवान राम लला, भगवान काशी विश्वनाथ, श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा व माता वैष्णो देवी की दी गई चाक चौबंद सुरक्षा से अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं। लुटियन्स जोन में निवास कर रहे माननीय प्रधानमंत्री जी से लेकर विभिन्न केंद्रीय मंत्रिमंडल के माननीय सदस्यों के परिवारों व बंगलों की सुरक्षा का भार भी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के मजबूत कंधों पर है। माननीय प्रधानमंत्री जी से नए साल में उम्मीदें बरक़रार कि जवानों के लिए कैंटीन पर जीएसटी छूट का बौनान्जा घोषित करें।
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