नई दिल्ली/- स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस पर निकाली गई शोभा यात्रा में शामिल हुए अनन्य अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वंचित वर्ग को गले लगाकर समरसता के आधार पर स्वामी जी के स्वप्नों को साकार करने का संकल्प लिया।
हिन्दू समाज को बांटने के षड्यंत्रों के खिलाफ स्वामी जी के चलाए शुद्धि आन्दोलन से घबराकर 23 दिसम्बर 1926 को महान संत स्वामी श्रद्धानंद की हत्या एक कट्टरवादी ने गोली मारकर कर दी। स्वामी जी की अंतिम यात्रा 25 दिसम्बर को निकाली गई थी और 96 वर्षाे से निरंतर चली आ रही इस परंपरा को निभते हुए आर्य समाज के अनुयाईयों ने स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर इस साल भी शोभा यात्रा का आयोजन किया जिसमें विभिन्न आर्य समाजों, विद्यालयों, कालेजों और गुरुकुलों से स्वामी जी के श्रद्धालुओं ने भारी संख्या में भाग लिया। यात्रा का समापन विशाल समारोह के साथ रामलीला मैदान में सम्पन्न हुआ।
केन्द्रीय सभा के प्रधान सुरेंद्र कुमार रैली ने कहा, स्वामी श्रद्धानंद भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आर्यसमाज के संन्यासी थे जिन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षा का प्रसार किया। यूपी के शिया बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जितेन्द्र नारायण सिंह ने कहा मैंने स्वामीजी को जेल में पढ़ा और आंदोलन से प्रभावित हुआ। सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, स्वामी प्रणवानंद, विहिप अध्यक्ष कपिल खन्ना, सतीश चड्डा सहित कई अतिथियों ने स्वामी जी के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।


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