लंदन से वॉशिंगटन तक चीन के खिलाफ जन आक्रोश रैली, जानें लाखों तिब्बती क्यों कर रहे है प्रदर्शन?

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 21, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

लंदन से वॉशिंगटन तक चीन के खिलाफ जन आक्रोश रैली, जानें लाखों तिब्बती क्यों कर रहे है प्रदर्शन?

अनीशा चौहान/ – दुनिया के अलग-अलग देशों में आज चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी है। इस लिस्ट में लंदन, न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन समेत दुनिया के कई शहर शामिल हैं, जहां विरोध प्रदर्शन होंगे। लाखों तिब्बती और उनके समर्थक कई देशों के प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे। भारत में मौजूद तिब्बती भी चीन का विरोध करेंगे। लेकिन सवाल यह है कि तिब्बती किस बात का विरोध करने जा रहे हैं? और वह चीन के ख़िलाफ़ आवाज़ क्यों उठाएंगे?

दरअसल, तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस एक वार्षिक विरोध प्रदर्शन है जो तिब्बत में चीन की उपस्थिति के खिलाफ 1959 के तिब्बती विद्रोह की याद दिलाता है। तिब्बती इतिहास में यह दिन बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल, घटना की शुरुआत 10 मार्च 1959 को हुई, जब हजारों तिब्बती चीन के कब्जे के विरोध में सड़कों पर उतर आए।

दलाई लामा को बचाने की कोशिश

तिब्बत की राजधानी ल्हासा की सड़कों पर हजारों तिब्बती अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने दलाई लामा की जान बचाने के लिए पोटाला पैलेस को घेर लिया और उन्हें बाहर निकाल लिया। तब से हर साल 10 मार्च को हजारों तिब्बती चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए दुनिया भर में सड़कों पर उतरते हैं।

इस तारीख को क्यों चुना गया?

इस तिथि को 1959 के विद्रोह के दौरान तिब्बती लोगों द्वारा किए गए प्रयासों और बलिदानों का सम्मान करने के लिए चुना गया है। इस तिथि पर दुनिया भर के व्यक्ति और समुदाय तिब्बती लोगों और स्वतंत्रता, न्याय और स्वतंत्रता के लिए उनकी चल रही खोज के साथ एकजुटता व्यक्त करते हैं।

तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस और दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का संबंध 1959 की ऐतिहासिक घटनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह दिन दलाई लामा के संबंध में विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन दलाई लामा को ल्हासा से भागकर निर्वासन में जाना पड़ा था। भारत उसकी जान बचाए। तिब्बती लोग दलाई लामा और अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए उठ खड़े हुए और उन्होंने अपने आध्यात्मिक नेता के लिए अपार साहस, लचीलापन और अटूट समर्थन का प्रदर्शन किया।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox