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  • रेपो रेट में नही होगा बदलाव, महंगाई दर भी 4 फीसदी से ज्यादा रहने के आसार

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    रेपो रेट में नही होगा बदलाव, महंगाई दर भी 4 फीसदी से ज्यादा रहने के आसार

    -आरबीआई गवर्नर का दावा- नहीं होंगे लोन व ईएमआई महंगी,

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो रेट में इजाफा न करने का फैसला किया। यानी ब्याज दर 6.50 फीसदी बनी रहेगी। लगातार दूसरी बार आरबीआई ने दरों में बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी दी।
                   आरबीआई के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 (एफवाई 24) में महंगाई 4 फीसदी के ऊपर ही रहने की संभावना है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023-24 में रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। क्यू 1 में 8 फीसदी, क्यू 2 में 6.5 फीसदी,  क्यू 3 में 6 फीसदी और क्यू 4 में 5.7 फीसदी जीडीपी रह सकती है।

    आरबीआई ने 6 बार में दरें 2.50 फीसदी बढ़ाई
    त्ठप् ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक 6 बार में दरों में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अप्रैल में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया था। उससे पहले फरवरी में दरों को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था। मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग हर दो महीने में होती है।

    रेपो रेट में बदलाव न होने से लोन महंगे नहीं होंगे, ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी
    आरबीआई के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को आरबीआई से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।
                    इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में आरबीआई ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

    2023-24 में रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रह सकती है
    आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जीडीपी को लेकर कहा कि भारत की वित्त वर्ष 2023 में रियल जीडीपी 7.2 फीसदी देखने को मिली जो पहले के 7 फीसदी के अनुमान से ज्यादा मजबूत है। सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 के लिए रियल ळक्च् ग्रोथ 6.5 फीसदी देखने को मिल सकती है।

    महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता बरकरार
    त्ठप् गवर्नर ने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। आरबीआई के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 (एफवाई 24) में महंगाई 4 फीसदी के ऊपर ही रहने की संभावना है। आरबीआई ने महंगाई अनुमान को एफवाई 24 में 5.2 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी किया है।
                     आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर अर्जुन की नजर बनाए रखने की जरूरत को दोहराया। उन्होंने कहा कि महंगाई अभी भी 4 फीसदी के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। उन्होंने ये भी कहा कि यात्रा का अंतिम चरण हमेशा सबसे कठिन होता है।

    जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?
    1. अप्रैल में रिटेल महंगाई 4.70 फीसदी
    अप्रैल में रिटेल महंगाई दर घटकर 4.70 फीसदी पर आ गई है। मार्च में महंगाई दर 5.66 फीसदी रही थी। ये लगातार तीसरा महीना था जब महंगाई दर में कमी आई थी। इतना ही नहीं रिटेल महंगाई का अक्टूबर 2021 से ये सबसे निचला स्तर भी था। खाने-पीने के सामान के दामों में गिरावट, बिजली और ईंधन की महंगाई घटने की वजह से रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली थी।

    2. थोक महंगाई दर -0.92 फीसदी रही थी
    थोक महंगाई दर अप्रैल में घटकर -0.92 फीसदी पर आ गई थी। इससे पहले मार्च 2023 में थोक महंगाई दर 1.34 फीसदी रही थी। फरवरी 2023 में थोक महंगाई दर 3.85 फीसदी थी। ये लगातार 11वां महीना था जब होल-सेल महंगाई कम हुई थी। खाने-पीने के सामान और ईंधन और बिजली के दामों में गिरावट आने से थोक महंगाई घटी थी।

    महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
    महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7 फीसदी है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

    आरबीआई के फैसलों पर 3 एक्सपर्टः
    1. आरबीआई का फैसला सही
    कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह ने कहा- ’दरों को स्थिर रखने का आरबीआई का फैसला सही है, क्योंकि दरों में पहले जो बढ़ोतरी की गई थी वो अभी भी सिस्टम पर प्रभाव डाल रही है। हम वर्तमान में कम महंगाई और स्टेबल ग्रोथ रेट देख रहे हैं। मोटे तौर पर, हम कैलेंडर ईयर 2024 तक दरों में कमी की उम्मीद करते हैं। हालांकि, वैश्विक झटकों का खतरा बना हुआ है।’

    2. हाउसिंग डिमांड को सपोर्ट मिलेगा
    नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, ’लगातार दूसरी बार रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का आरबीआई का फैसला सराहनी है। महंगाई अभी भी टॉलरेंस लेवल से ज्यादा बनी हुई है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में इसमें कमी आई है। हमारा मानना है कि ब्याज दर पर विराम हाउसिंग डिमांड को सपोर्ट करेगा।’

    3. घरों की बिक्री में गति जारी रहेगी
    आर्केड ग्रुप के सीएमडी अमित जैन ने कहा कि ’त्ठप् ने रेट हाइक पर रोक लगाने के अपने नीतिगत रुख को बनाए रखा है जो बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है। बॉन्ड बाजार पहले से ही ठहराव का असर दिखा रहे थे। त्ठप् का फैसला रियल एस्टेट सेक्टर और घर खरीदारों के लिए एक सकारात्मक कदम है। हम उम्मीद करते हैं कि घरों की बिक्री में गति जारी रहेगी।’

    2000 के अब तक करीब 50 फीसदी नोट वापस आए
    त्ठप् गवर्नर ने मॉनेटरी पॉलिसी के फैसलों की जानकारी देने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस 2000 के नोटों को लेकर कहा कि अभी तक करीब 50 फीसदी नोट वापस आ गए हैं। इसमें से करीब 85 फीसदी नोट डिपॉजिट के रूप में वापस आए हैं। ये हमारी एक्सपेक्टेशन की लाइन में हैं। वहीं उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि नोट बदलने के लिए किसी भी तरह की हड़बड़ी न करें। बैंकों में आसानी से नोट डिपॉजिट और बदला जा रहे हैं।

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