-यूपी, पंजाब और उत्तराखंड के चुनावी नतीजों से तय होगी भाजपा की राज्यसभा में बिल पास करवाने की राह
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारतीय जनता पार्टी के लिए राज्य सभा का आगे का सफर मुश्किलों भरा हो सकता है। कयास ये भी लगाये जा रहे है कि अगर यूपी, पंजाब व उत्तराखंड के चुनावी नतीजे भाजपा के अनुरूप नही रहे तो भाजपा के लिए राज्यसभा में बिल पास करवाने की राह कठिन हो जायेगी। यहां बता दें कि अगले कुछ महीनों में राज्यसभा में समीकरण बदलने वाले है। भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास अभी राज्यसभा में 114 सीटें हैं, इसमें से भाजपा के पास 97, जेडीयू के पास 5, एआईएडीएमके के पास 5, निर्दलीय के पास 1 और छोटे दलों के पास 6 सीटें हैं, लेकिन जल्द ही यह स्थिति बदलने जा रही है। अप्रैल से अगस्त के बीच राज्यसभा की 70 सीटों पर चुनाव होना है। लेकिन अगर यूपी, पंजाब व उत्तराखंड में भाजपा का प्रदर्शन सही नही रहा तो इन राज्यों की 19 सीटें बड़ा बदलाव का कारण बनेगी।
यूपी, पंजाब और उत्तराखंड भाजपा और विपक्षी पार्टियों के लिए सिर्फ विधानसभा के नजरिए से ही अहम नहीं हैं, बल्कि राज्यसभा के लिहाज से भी बहुत जरूरी हैं, क्योंकि इन तीनों राज्यों के चुनाव सीधे तौर पर राज्यसभा के लिए 19 सीटों पर होने वाले चुनाव पर असर डालेंगे। यदि इन राज्यों में भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के विधायकों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ तो राज्यसभा में विपक्ष मजबूत होकर सामने आएगा, जिससे सीधे तौर पर केंद्र सरकार की ओर से राज्यसभा में पास कराए जाने वाले तमाम बिलों को पास कराना आसान नहीं होगा। अभी 19 सीटों में से 6 भाजपा, 5 कांग्रेस, 3 सपा, 3 शिरोमणि अकाली दल, 2 बीएसपी के पास हैं।
भाजपा की सीधे तौर पर 5, एआईएडीएमके की 1 और निर्दलीय की 1 सीट कम हो जाएगी। इसके बाद संख्या बल 114 से घट कर 107 पर आ जाएगा। ऐसे में यदि सहयोगी दलों ने आंखें दिखाईं और बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस का सहयोग नहीं मिला तो राज्यसभा में किसी बिल को पास कराना भाजपा के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा पंजाब, उत्तराखंड और यूपी में अगर सीटें कम आईं तो राज्यसभा में भाजपा सांसदों की संख्या और कम हो सकती है, क्योंकि इन राज्यों में राज्यसभा की 19 सीटें हैं। यहां की तस्वीर 10 मार्च के बाद साफ हो जाएगी।
चाय की प्याली में सियासी तूफान उठाकर केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार को एक वोट से गिराने वाले सुब्रमण्यम स्वामी भी राज्यसभा से विदा हो जाएंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि इसके साथ ही वे भाजपा से भी जुदा हो जाएंगे। केंद्र सरकार पर लंबे समय से हमलावर स्वामी का राज्यसभा से कार्यकाल 24 अप्रैल को खत्म होने जा रहा है। बीते दिनों में उन्होंने जिस तरह से सरकार को निशाने पर लिया है, उसके बाद उन्हें दोबारा चुने जाने के चांस न के बराबर हैं। भाजपा के टॉप सोर्सेस के मुताबिक, उन्हें न ही अब नॉमिनेट किया जाएगा और न किसी दूसरे राज्य से राज्यसभा भेजा जाएगा।
भाजपा के साथ ही कांग्रेस के भी कई दिग्गजों का राज्यसभा से कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इसमें कांग्रेस के जी-23 में शामिल नेता आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल के अलावा केरल से आने वाले एके एंटनी और पंजाब से अंबिका सोनी शामिल हैं। पंजाब से राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। इन नेताओं के भी दोबारा नॉमिनेट होने की संभावना नहीं है, और इसकी अपनी वजहें हैं।
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