मानसी शर्मा /- कोलकाता के RG Kar मेडिकल हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर की घटना ने शहर ही नहीं, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में इंसाफ की मांग को लेकर डॉक्टर्स का प्रदर्शन एक महीने से भी अधिक समय से जारी है। पिछले तीन रातों से, बंगाल के मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
इन डॉक्टरों पर काम पर लौटने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन वे अपने संघर्ष को जारी रखे हुए हैं। इस आंदोलन में वे अकेले नहीं हैं; आम लोग भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण नाम है किंजल नंदा, जो अब एक एक्टिविस्ट के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
कौन है किंजल नंदा?
किंजल नंदा, जिन्हें पहले ‘द बंगाल स्कैम’ और ‘हीरालाल’ जैसी फिल्मों से जाना जाता था, अब इस प्रोटेस्ट के एक प्रमुख चेहरा बन गए हैं। उन्होंने कोलकाता के विभिन्न प्रोटेस्ट स्थलों पर जाकर स्पीच दी है और राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इस आंदोलन का फायदा न उठाएं। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेजों में किसी भी राजनीतिक दल का झंडा नहीं लगने दिया जाएगा और यदि कोई दल प्रोटेस्ट करना चाहता है, तो वह बाहर कर सकता है।
प्रोटेस्ट स्थलों पर विशेष इंतजाम
प्रदर्शन स्थलों पर डॉक्टर्स के लिए सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। स्वास्थ्य भवन के पास धरना दे रहे जूनियर डॉक्टरों के लिए ईटिंग जोन्स बनाए गए हैं, जिसमें फोल्डिंग मेज, डिस्पोजेबल बर्तन, बायो टॉयलेट, एलईडी लाइट्स, फ्लडलाइट्स, पंखे और मोबाइल चार्जिंग यूनिट शामिल हैं। कुछ संगठनों ने इन डॉक्टरों की मदद के लिए ऐसे इंतजाम किए हैं ताकि प्रदर्शन के दौरान उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके।
जाधवपुर यूनिवर्सिटी के साल्ट लेक कैंपस में खाना तैयार किया जाता है, जिसे मिनी ट्रकों के जरिए प्रदर्शन स्थलों पर पहुँचाया जाता है। प्रदर्शन की शुरुआत में केवल डॉक्टर ही शामिल थे, लेकिन अब आम लोग भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
प्रदर्शन को मिला आम लोगों का समर्थन
प्रदर्शन स्थलों पर कई महिलाएं भी आकर डॉक्टरों के लिए भोजन और पेय पदार्थ ले जाती हैं। इनमें से एक महिला, माधवी साहा, ने अपने तीन पड़ोसियों के साथ गुरुवार शाम को नॉर्थ 24परगना से प्रोटेस्ट स्थल पर पहुंचकर उबले हुए अंडे, फ्रूट और ORS का घोल लाया। माधवी ने कहा, “हमें लगता है कि यह हमारी लड़ाई है। इसलिए हम इन डॉक्टर्स के लिए अंडे और अन्य खाद्य सामग्री लेकर आए हैं। ये हमारे बच्चों की तरह हैं, और हमें पूरा विश्वास है कि वे यह जंग जीतेंगे।”
इस प्रकार, कोलकाता में चल रहे इस आंदोलन में डॉक्टर्स और आम लोगों का समर्थन लगातार बढ़ता जा रहा है, और इंसाफ की यह लड़ाई अब एक सामूहिक संघर्ष बन चुकी है।
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