नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारत कई देशों के साथ रूपये में व्यापार करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि रूस के साथ रूपये में व्यापार करने की भारत की कोशिशों को भारी झटका लगा है लेकिन अब एक अच्छी खबर सामने आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों को अब सफलता मिली है क्योंकि खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत स्थानीय मुद्रा में व्यापार कर रहा है।
केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर अपनी स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार का भुगतान शुरू कर दिया है। सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि भारत का एक शीर्ष रिफाइनर यूएई से दस लाख बैरल तेल की खरीद के लिए रुपये में भुगतान कर रहा है। यूएई में भारतीय दूतावास की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओएल) ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) को कच्चे तेल के लिए रुपये में भुगतान किया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रुपये में यह लेनदेन इसलिए संभव हो पाया क्योंकि यूएई के एक सोना निर्यातक ने भारत में एक खरीदार को लगभग 12 करोड़ 84 लाख रुपये में 25 किलोग्राम सोने की बिक्री की है। इसके बाद भारतीय बैंक के यूएई खाते में 12 करोड़ 84 लाख रुपये मूल्य के दिरहम जमा हो गए। ओआईसी यूएई के भारतीय बैंक के खाते में रुपये जमा कर तेल का भुगतान कर रहा है।
बता दें कि भारत ने जुलाई के महीने में यूएई के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसके बाद उसे यूएई के साथ डॉलर के बजाय रुपये में व्यापार निपटाने की अनुमति मिल गई। यूएई के साथ इस समझौते से भारत को बहुत फायदा हुआ है क्योंकि इससे डॉलर के रूपांतरण की लागत बच रही है और व्यापार के लिए रुपये को बढ़ावा मिल रहा है।
पीएम मोदी की यूएई यात्रा के दौरान दोनों देश क्रॉस बॉर्डर पेमेंट की सुविधा के लिए रियल टाइम पेमेंट लिंक स्थापित करने पर भी सहमत हुए थे। भारत और यूएई के बीच व्यापार की बात करें तो, वित्त वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 84.5 अरब डॉलर का था।
भारत यूएई की तरह ही विश्व के अन्य देशों के साथ स्थानीय मुद्रा में व्यापार को बढ़ाने का इच्छुक है। इससे रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के भारत के प्रयासों को तो बल मिलेगा ही साथ ही भारत इसके जरिए वैश्विक व्यापार.में मंदी के बीच निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है।
रूस के साथ भी रुपये में भुगतान की हुई थी बात
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल खरीद के निपटान के लिए भारत रूस से एक तंत्र विकसित करने पर बात कर रहा था। भारत चाहता था कि रुपया-रूबल का एक स्थायी तंत्र विकसित हो जाए जिससे डॉलर की मुद्रा रूपांतरण लागत कम हो लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। इसके तहत ऐसी व्यवस्था बनाई जानी थी कि किसी रूसी बैंक का भारतीय बैंक और किसी भारतीय बैंक का रूसी बैंक में अकाउंट होगा। दोनों देश आपसी सहमति से अपने खाते में एक तय रकम रखेंगे यानी भारत रूसी बैंक के अपने अकाउंट में तय रुपया रखेगा और रूस भारतीय बैंक के अपने अकाउंट में तय रूबल रखेगा।
दोनों देशों की सहमति से मुद्रा का रूपांतरण दर तय होगा. इस भुगतान तंत्र के तहत रूसी निर्यातकों को भारत में रूसी बैंक के खाते से रुपये में भुगतान किया जा सकता था और रूस से सामान आयात के लिए भारतीय आयातकों को रूस में भारतीय बैंक के खाते से रूबल का भुगतान किया जा सकता था। इसी तरह के तंत्र के जरिए यूएई के साथ स्थानीय मुद्रा में व्यापार हो रहा है।
हालांकि, भारत-रूस के बीच रूपया-रूबल तंत्र को लेकर सहमति नहीं बन पाई क्योंकि रूस का कहना था कि उसके बैंकों में अरबों रुपया पड़ा है जो उसके किसी काम का नहीं है। दरअसल, रूस से रिकॉर्ड तेल की खरीददारी के बीच भारत-रूस का व्यापार संतुलन गड़बड़ हो गया है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद रूस से भारत का आयात तेल खरीद के कारण 400 फीसद बढ़ गया जबकि निर्यात लगभग 14 फीसद कम हो गया है।
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