
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/- पिछले कुछ समय से देश में मस्जिदों को लेकर विवाद गहराया हुआ है। देश में मस्जिदों के सर्वे की मांग के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागव..ने कहा था कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है लेकिन आरएसएस के मुखपत्र की राय भागवत से बिल्कुल अलग नजर आ रही है.। ऐसा लग रहा है कि जैसे आरएसएस मोहन भागवत की राय सहमत नहीं है वर्ना मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में इस तरह का लेख नही छपता। आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने संभल मस्जिद विवाद पर अपनी लेटेस्ट कवर स्टोरी पब्लिश की है, जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना जरूरी है। पत्रिका में कहा गया है कि जिन धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किया गया या ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना सभ्यतागत न्याय को हासिल करने जैसा है।

पत्रिका में कहा गया कि जिन धार्मिक स्थलों पर हमला किया गया या जिन्हें ध्वस्त किया गया, उनकी सच्चाई जानना जरूरी है। वहीं मोहन भागवत ने कहा था कि हर मस्जिद में मंदिर तलाशना सही नही है। लेख के अनुसार सभ्यतागत न्याय के लिए और सभी समुदायों के बीच शांति और सौहार्द का प्रचार करने के लिए इतिहास की समझ होना जरूरी है। इस लेख में कहा गया है कि भारत के मुस्लिम समुदाय के लिए यह जरूरी है कि वह आक्रांताओं द्वारा हिंदुओं के साथ किए गए ऐतिहासिक अन्याय को स्वीकार करे। संपादकीय में कहा गया कि सोमनाथ से लेकर संभल और उसके आगे के सच को जानने की यह लड़ाई धार्मिक श्रेष्ठता के बारे में नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय पहचान को साबित करने और सभ्यतागत न्याय के बारे में है। लेख में ऐतिहासिक घावों को भरने की भी बात कही गई है।
मुखपत्र में प्रकाशित संपादकीय में प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की जरूरत है। बाबा साहेब आंबेडकर जाति आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे खत्म करने के संवैधानिक उपाय दिए। तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें।
बता दें कि हाल ही में आरएसएस चीफ भागवत ने मस्जिदों के सर्वे की बढ़ रही मांग को लेकर चिंता जताई थी और इस ट्रेंड को अस्वीकार्य बताया था। उन्होंने 19 दिसंबर को पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं के लिए आस्था का मामला था, लेकिन रोज ऐसे नए मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है।
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