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    मार्च 2022 तक खत्म होगी जम्मू कश्मीर परिसीमन की प्रक्रिया, सात सीटें बढ़ेंगी

    -तीन दिनों में 290 से ज्यादा राजनीतिक दलों से मिला परिसीमन आयोग -2011 के सेंसस पर होगा परिसीमन, भौगोलिक स्थितियों का भी रखा जाएगा. ध्यान

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/जम्मू-कश्मीर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पिछले तीन दिन में परिसीमन आयोग ने 290 से ज्यादा राजनीतिक दलों से मुलाकात भी की है। परिसीमन की प्रक्रिया मार्च 2022 तक खत्म हो जाएगी और इसके बाद यहां विधानसभा की सात सीटें बढ़ेंगी.।
                           उक्त जानकारी जम्मू में परिसीमन आयोग के चेयरपर्सन रंजना प्रकाश देसाई और सदस्य सुशील चंद्रा, केके शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी.। उन्होने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ’हम यहां तीन दिनों से है। सभी दलों के विचारों को लिखा गया है। हम कानून के हिसाब से काम करेंगे.। भविष्य में दोबरा आएंगे। परिसीमन 2011 के सेंसस पर आधारित होगा। पिछले परिसीमन पर 12 जिले थे लेकिन अब प्रदेश में 20 जिले है। आयोग के सदस्यों ने 290 से अधिक दलों और संगठनों से मुलाकात की, जिसमें 800 के आसपास सदस्य थे। इन दलों ने परिसीमन पर खुशी जताई। कुछ दलों ने राजनतिक आरक्षण की भी मांग की.।
                               परिसीमन आयोग ने चीफ सेक्रेटरी से भी मुलाकात की और प्रदेश के एक अधिकारी को नोडल अफसर बनाने की मांग की। आयोग ने कहा है कि जिन लोगों को इस परिसीमन पर कोई राय देनी हो वो इस नोडल अफसर को वो राय दे सकते हैं। जिन राजनीतिक दलों ने परिसीमन आयोग से दूरी बनाई हम दुआ करते है वो अगर मिलने आते.। भूगौलिक स्थितियों को पहले परिसीमन में ध्यान नहीं रखा गया। हम यकीन दिलाते है कि यह प्रक्रिया कानून के मुताबिक होगी और पारदर्शी होगी। हमारे लिए जम्मू और कश्मीर एक यूटी है।
                          परिसीमन आयोग जम्मू कश्मीर के और भी दौरे कर सकता है। यही नहीं एसोसिएट मेंबर्स के साथ भी मीटिंग में ड्रॉप्ड प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही कोई फाइनल ड्राफ्ट तैयार होगा। उन्होंने कहा मार्च 2022 तक आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा।
                           मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा जम्मू कश्मीर में पिछला परिसीमन 1995 में 1981 की जनगणना के आधार पर किया गया था। इस बार 2011 की जनगणना के आधार पर विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन किया जा रहा है और इसमें जनसंख्या के अलावा भौगोलिक स्थिति, संचार और अन्य कई बिंदुओं पर भी गौर किया जाएगा।

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