मणिपुर में सबसे पुराने उग्रवादी संगठन UNLF ने डाले हथियार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 23, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

मणिपुर में सबसे पुराने उग्रवादी संगठन UNLF ने डाले हथियार

मानसी शर्मा /- बुधवार को मणिपुर से कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आए, जिन्हें उत्तर-पूर्वी राज्य में शांति स्थापित करने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है। इन तस्वीरों में सैकड़ों विद्रोही हथियार डालते नजर आ रहे हैं। ये विद्रोही मणिपुर के सबसे पुराने उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) से हैं। UNLF ने बुधवार को सरकार के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए और हिंसा छोड़ने पर सहमति व्यक्त की। खास बात यह है कि UNLFने ऐसे समय में हथियार डाले हैं, जब कुछ दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) पर प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया था। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच गृह मंत्रालय ने 5 उग्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिया था।

ये ऐतिहासिक है- अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, “एक ऐतिहासिक मील का पत्थर।” पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नई दिल्ली में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह UNLF, हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।”

अमित शाह ने ट्वीट किया, भारत और मणिपुर सरकार द्वारा UNLFके साथ शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और उत्तर-पूर्व भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

1964 में हुआ था UNLFका गठन

UNLFका गठन 24 नवंबर 1964 को हुआ था। यह मणिपुर का सबसे पुराना उग्रवादी संगठन है। इसका गठन भारत से अलग होने की मांग को लेकर अरंबम सैमेंद्र के नेतृत्व में किया गया था। यह एक मैतेई विद्रोही समूह है। 1990 में UNLF ने मणिपुर को भारत से अलग करने के लिए सशस्त्र संघर्ष भी शुरू किया। माना जाता है कि UNLFको प्रारंभिक प्रशिक्षण सबसे बड़े नागा विद्रोही समूह एनएससीएन (आईएम) से मिला है। UNLFने 1990 में सशस्त्र विंग मणिपुर पीपुल्स आर्मी का भी गठन किया था। पिछले कुछ वर्षों में इसने भारतीय सुरक्षा कर्मियों को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं। UNLFको भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया है। यह बड़े पैमाने पर म्यांमार की सेना के संरक्षण में म्यांमार के सागांग क्षेत्र, चिन राज्य और रखाइन राज्य में शिविरों और प्रशिक्षण शिविरों से अपनी साजिशों को अंजाम दे रहा है। हालांकि, म्यांमार में सेना के खिलाफ चल रहे विद्रोह के कारण UNLFबैकफुट पर है।

2000 में सैमेंद्र की हत्या के बाद, UNLFका नेतृत्व आरके मेघेन ने किया था। उसे 2010 में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद इस संगठन की कमान खुंडोंगबाम पामबेई के पास आ गई। हालाँकि, UNLFमें कई टूट-फूट हुईं।

यह समझौता क्यों महत्वपूर्ण है?

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। इस हिंसा के बीच में हैं मैतेई और कुकी समुदाय। मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति या एसटी दर्जे की मांग कर रहा है। मणिपुर हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन ने 20 अप्रैल को इस मामले में आदेश दिया था। इस आदेश में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर विचार करने को कहा था।

कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था। यह रैली मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। इस रैली के दौरान आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसके बाद से राज्य में लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। हालांकि अब स्थिति नियंत्रण में है। अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों घर जला दिए गए हैं। हिंसा के कारण अब तक 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं। ये लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं।

मणिपुर की कुल जनसंख्या 28.55 लाख है। UNLFके हथियार डालने के बाद अब उत्तर-पूर्वी राज्य में शांति लौटने की उम्मीद है। UNLFअपने सशस्त्र आंदोलनों को संचालित करने के लिए जबरन वसूली, हथियारों की खरीद-फरोख्त और बड़ी परियोजनाओं से उगाही का सहारा लेता था, लेकिन अब इस संगठन के हथियार डालने को मणिपुर में शांति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox